न कोई फ़साना छेड़ा, न कोई बात हुई; कहने को कह लीजिये, कि मुलाक़ात हुई! |
दोस्ती इंसान की ज़रुरत है; दिलों पर दोस्ती की हुकुमत है; आपके प्यार की वजह से जिंदा हूँ; वरना खुदा को भी हमारी ज़रुरत है। |
शौक से तोड़ो दिल मेरा मैं परवाह क्यों करूँ; तुम ही रहते हो इसमे अपना घर खुद ही उजाड़ोगे! |
ठुकराया हमने भी बहुतों को है तेरी खातिर; तुझसे फासला भी शायद उन की बद-दुआओं का असर है! |
किसी ने कहा था मोहब्बत फूल जैसी है; कदम रुक गये आज जब फूलों को बाजार में बिकते देखा! |
किताब मेरी, पन्ने मेरे और सोच भी मेरी; फिर मैंने जो लिखे वो ख्याल क्यों तेरे! |
यकीन है कि ना आएगा मुझसे मिलने कोई; तो फिर ये दिल को मेरे इंतज़ार किसका है! |
इश्क़ कर लीजिये बेइंतेहा किताबों से; एक यही हैं जो अपनी बातों से पलटा नहीं करतीं! |
रोज़ जले, फिर भी खाक न हुए; अजीब है कुछ ख्वाब भी, बुझ कर भी न राख हुए! |
तेज़-रफ़्तार हवाओं को ये एहसास कहाँ; शाख़ से टूटेगा पत्ता तो किधर जाएगा! |