मिल लेंगे हम तेरे बच्चों से भी; मगर कौन हूँ मैं, तू उन्हें क्या बताएगी? खेलने देना तू उनको मेरे साथ; कि माँ का खिलौना बच्चो को भी बहुत पसंद आएगा! |
रुख मस्जिद का किया था उसे भुलाने की नीयत से, दुआ में हाथ क्या उठे फिर उसी को मांग बैठे..! |
ठान लिया था कि अब और शायरी नहीं लिखेंगे; उनका पल्लू सरका और अल्फ़ाज़ बग़ावत कर बैठे..! |
मोहब्बत का रिश्ता कितना अजीब है साहब; दिल तकलीफ़ में है, और तकलीफ़ देने वाला दिल में! |
मयख़ाने से बढ़कर कोई ज़मीन नहीं; जहाँ सिर्फ़ क़दम लड़खड़ाते हैं ज़मीर नहीं! |
ख़ुदा का ज़िकर नही है उम्दा इस नासूर के; ये इश्क़ और ख़ुदा की तोहीन है बाबस्ता! |
तेरी मुश्किल ना बढ़ाऊंगा चला जाऊंगा; अश्क आंखों में छुपाऊंगा चला जाऊंगा! अपनी दहलीज़ पर कुछ देर पड़ा रहने दे; जैसे ही होश में आऊंगा चला जाऊंगा! ख़्वाब लेने कोई आए के न आए कोई; मैं तो आवाज़ लगाऊंगा चला जाऊंगा! उन मेह्ल्लात से कुछ भी नही लेना मुझको; बस तुम्हे देखने आऊंगा चला जाऊंगा! |
दिल ने सोचा था कि टूट कर चाहेंगे उसे; सच मानो.. टूटे भी बहुत और चाहा भी बहुत..! |
नुक्स निकालते हैं लोग इस कदर हम में; जैसे उन्हें खुदा चाहिए था और हम इंसान निकले..! |
मशरूफ रहने का अंदाज तुम्हे तन्हा ना कर दे ग़ालिब, रिश्ते फुर्सत के नहीं, तवज्जो के मोहताज होते हैं...!! |