लोगों ने कहा धोखेबाज़ है वो, हमे लोग गलत लगे; वो सही लगी, बाकि सारे सितम गलत लगे| सातों जन्म के वादे थे उसके, हमने भी सच माना; हमसे कोई अच्छा मिला, तो उसे हम गलत लगे| |
कोई लम्हा हो तेरे साथ का, जो मेरी उम्र भर को समेट दे; मैं फ़ना बक़ा के सभी सफ़र, उसी एक पल में गुज़ार दूँ! |
तन्हाई में फ़रयाद तो कर सकता हूँ; वीराने को आबाद तो कर सकता हूँ| मैं जब चाहूँ आपसे मिल नही सकता; पर जब चाहूँ आपको याद तो कर सकता हूँ| |
अपने चहरे के किसे दाग नज़र आते हैं; वक्त हर शख्स को आईना दिखा देता है! |
तेरी दुआओं में असर हो तो मस्जिद को हिला के दिखा; नहीं तो दो घूँट पी और मस्जिद को हिलता देख! |
दिल के लुट जाने का इज़हार जरूरी तो नहीं, ये तमाशा सर-ए-बाज़ार जरूरी तो नहीं; मुझे था इश्क़ तेरी रूह से और अब भी है, जिस्म से हो कोई सरोकार जरूरी तो नही; मैं तुझे टूट कर चाहूँ ये तो मेरी फ़ितरत है, तू भी हो मेरा तलबगार जरूरी तो नहीं; ऐ सितमगर जरा झाँक जरा मेरी आँखों में, जुबां से हो प्यार का इज़हार जरूरी तो नहीं! |
अब अपने लहज़े में नरमी बहुत ज्यादा है, नए बरस में नई जंग का इरादा है! |
एक सुकून की तलाश में जाने कितनी बेचैनियाँ पाल ली, और लोग कहते हैं की हम बड़े हो गए हमने ज़िंदगी संभाल ली! |
याददाश्त का कमज़ोर होना कोई बुरी बात नहीं; बहुत बैचेन रहते हैं वो लोग जिन्हें हर बात याद रहती है! |
जाती है धूप उजले परों को समेट के, ज़ख़्मों को अब गिनूँगा मैं बिस्तर पे लेट के| |