रुतबा तो खामोशियों का होता है; अल्फ़ाज़ का क्या वह तो मुकर जाते हैं हालात देखकर। |
बुलबुल के परो में बाज़ नहीं होते; कमजोर और बुजदिलो के हाथो में राज नहीं होते; जिन्हें पड़ जाती है झुक कर चलने की आदत; दोस्तों उन सिरों पर कभी ताज नहीं होते! |
कोई प्यार से जरा सी फुंक मार दे तो बुझ जाऊं; नफरत से तो तुफान भी हार गए मुझे बुझाने में! |
हौसले भी किसी हकीम से कम नहीं होते; हर तकलीफ़ में ताक़त की दवा देते हैं। |
ये जो जिंदगी की किताब है; ये किताब भी क्या किताब है; इंसान जिल्द संवारने में व्यस्त है; और पन्ने बिखरने को बेताब हैं! |
महफ़िल में जो हमे दाद देने से कतराते हैं; सुना है तन्हाइयों में वो हमारी शायरी गुनगुनाते हैं। |
जिंदगी ने मेरे मर्ज़ का, एक बढीया इलाज़ बताया, वक्त को दवा कहा और मतलबियो से परहेज बताया| |
अल्फाज तय करते हैं फैसले किरदारो के; उतरना दिल मे है या दिल से उतरना है! |
तमन्ना तुम्हें रंग लगाने की नहीं है, तमन्ना तुम्हारे रंग मे रंग जाने की है! |
कौन कहता है कि आपकी तस्वीर बात नहीं करती; हर सवाल का जवाब देती है बस आवाज़ नहीं करती! |