मिलकर जुदा हुए... मिलकर जुदा हुए तो न सोया करेंगे हम; एक दूसरे की याद में रोया करेंगे हम; आँसू छलक छलक के सतायेंगे रात भर; मोती पलक पलक में पिरोया करेंगे हम; जब दूरियों की आग दिलों को जलायेगी; जिस्मों को चाँदनी में भिगोया करेंगे हम; गर दे गया दग़ा हमें तूफ़ान भी "क़तील"; साहिल पे कश्तियों को डूबोया करेंगे हम। |
ले चला जान मेरी... ले चला जान मेरी रूठ के जाना तेरा; ऐसे आने से तो बेहतर था न आना तेरा; अपने दिल को भी बताऊँ न ठिकाना तेरा; सब ने जाना जो पता एक ने जाना तेरा; तू जो ऐ ज़ुल्फ़ परेशान रहा करती है; किस के उजड़े हुए दिल में है ठिकाना तेरा; ये समझ कर तुझे ऐ मौत लगा रखा है; काम आता है बुरे वक़्त में आना तेरा; अपनी आँखों में भी कौँध गई बिजली सी; हम न समझे कि ये आना है कि जाना तेरा; 'दाग़' को यूँ वो मिटाते हैं ये फ़र्माते हैं; तू बदल डाल हुआ नाम पुराना तेरा। |
बदला न अपने आपको... बदला न अपने आपको जो थे वही रहे; मिलते रहे सभी से अजनबी रहे; अपनी तरह सभी को किसी की तलाश थी; हम जिसके भी क़रीब रहे दूर ही रहे; दुनिया न जीत पाओ तो हारो न खुद को तुम; थोड़ी बहुत तो जे़हन में नाराज़गी रहे; गुज़रो जो बाग़ से तो दुआ माँगते चलो; जिसमें खिले हैं फूल वो डाली हरी रहे; हर वक़्त हर मकाम पे हँसना मुहाल है; रोने के वास्ते भी कोई बेकली रहे। |
प्यास वो दिल की... प्यास वो दिल की बुझाने कभी आया भी नहीं; कैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहीं; बेरुख़ी इस से बड़ी और भला क्या होगी; एक मुद्दत से हमें उस ने सताया भी नहीं; रोज़ आता है दर-ए-दिल पे वो दस्तक देने; आज तक हमने जिसे पास बुलाया भी नहीं; सुन लिया कैसे ख़ुदा जाने ज़माने भर ने; वो फ़साना जो कभी हमने सुनाया भी नहीं; तुम तो शायर हो क़तील और वो इक आम सा शख़्स; उस ने चाहा भी तुझे और जताया भी नहीं। |
प्यास वो दिल की... प्यास वो दिल की बुझाने कभी आया भी नहीं; कैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहीं; बेरुख़ी इस से बड़ी और भला क्या होगी; एक मुद्दत से हमें उस ने सताया भी नहीं; रोज़ आता है दर-ए-दिल पे वो दस्तक देने; आज तक हमने जिसे पास बुलाया भी नहीं; सुन लिया कैसे ख़ुदा जाने ज़माने भर ने; वो फ़साना जो कभी हमने सुनाया भी नहीं; तुम तो शायर हो क़तील और वो इक आम सा शख़्स; उस ने चाहा भी तुझे और जताया भी नहीं। |
दिल मेरा जिस से... दिल मेरा जिस से बहलता कोई ऐसा न मिला; बुत के बन्दे तो मिले अल्लाह का बन्दा न मिला; बज़्म-ए-याराँ से फिरी बाद-ए-बहारी मायूस; एक सर भी उसे आमादा-ए-सौदा न मिला; गुल के ख़्वाहाँ तो नज़र आये बहुत इत्रफ़रोश; तालिब-ए-ज़मज़म-ए-बुलबुल-ए-शैदा न मिला; वाह क्या राह दिखाई हमें मुर्शद ने; कर दिया काबे को गुम और कलीसा न मिला; सय्यद उट्ठे जो गज़ट ले के तो लाखों लाये; शैख़ क़ुरान दिखाता फिरा पैसा न मिला। |
सुबह रो-रो के... सुबह रो-रो के शाम होती है;... शब तड़प कर तमाम होती है; सामने चश्म-ए-मस्त साक़ी के; किस को परवाह-ए-जाम होती है; कोई ग़ुंचा खिला के बुल-बुल को; बेकली ज़र-ए-दाम होती है; हम जो कहते हैं कुछ इशारों से; ये ख़ता ला-कलाम होती है। |
कठिन है राहगुज़र... कठिन है राहगुज़र थोड़ी दूर साथ चलो; बहुत बड़ा है सफ़र थोड़ी दूर साथ चलो; तमाम उम्र कहाँ कोई साथ देता है; मैं जानता हूँ मगर थोड़ी दूर साथ चलो; नशे में चूर हूँ मैं भी तुम्हें भी होश नहीं; बड़ा मज़ा हो अगर थोड़ी दूर साथ चलो; ये एक शब की मुलाक़ात भी ग़नीमत है; किसे है कल की ख़बर थोड़ी दूर साथ चलो; अभी तो जाग रहे हैं चिराग़ राहों के; अभी है दूर सहर थोड़ी दूर साथ चलो; तवाफ़-ए-मन्ज़िल-ए-जानाँ हमें भी करना है; 'फ़राज़' तुम भी अगर थोड़ी दूर साथ चलो। |
ले चला जान मेरी... ले चला जान मेरी रूठ के जाना तेरा; ऐसा आने से तो बेहतर है ना आना तेरा; अपने दिल को भी बताऊँ ना ठिकाना तेरा; सब ने जाना, जो पता एक ने जाना तेरा; तु जो ऐ ज़ुल्फ़, परेशान रहा करती है; किसके उजड़े हुए दिल में है ठिकाना तेरा; यह समझ कर तुझे ऐ मौत लगा रखा है; काम आता है बुरे वक़्त में आना तेरा; अपनी आँखों में भी कौंध गई बिजली सी; हम न समझे कि ये आना है कि जाना तेरा; 'दाग' को यूँ वो मिटाते हैं ये फ़र्माते हैं; तो बदल डाल हुआ नाम पुराना तेरा। |
ये आलम शौक़... ये आलम शौक़ का देखा न जाये; वो बुत है या ख़ुदा देखा न जाये; ये किन नज़रों से तुम ने आज देखा; के तेरा देखना देखा ना जाये; हमेशा के लिये मुझ से बिछड़ जा; ये मन्ज़र बारहा देखा न जाये; ग़लत है जो सुना पर आज़मा कर; तुझे ऐ बावफ़ा देखा न जाये; ये महरूमी नहीं पास-ए-वफ़ा है; कोई तेरे सिवा देखा न जाये; यही तो आश्ना बनते हैं आख़िर; कोई नाआश्ना देखा न जाये; 'फ़राज़' अपने सिवा है कौन तेरा; तुझे तुझ से जुदा देखा न जाये। |