आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक; कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक। Meaning: सर - सुलझाना |
अपनी गली में मुझ को न कर दफ़्न बाद-ए-क़त्ल; मेरे पते से ख़ल्क़ को क्यों तेरा घर मिले। |
दुनिया करे सवाल तो हम क्या जवाब दें; तुमको ना हो ख्याल तो हम क्या जवाब दें। |
बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना; आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसाँ होना। |
सजा कैसी मिली मुझको तुमसे दिल लगाने की; रोना ही पड़ा है जब कोशिश की मुस्कुराने की; कौन बनेगा यहाँ मेरी दर्द-भरी रातों का हमराज; दर्द ही मिला जो तुमने कोशिश की आजमाने की। |
कहाँ वह खल्वतें दिन-रात की और अब यह आलम है; कि जब मिलते हैं दिल कहता है, कोई तीसरा होता। अर्थ: 1. खल्वतें - एकान्त, जहाँ दूसरा न हो, तन्हाई 2.आलम - हालत, दशा, स्थिति |
कारगाहे-हयात में ऐ दोस्त यह हकीकत मुझे नजर आई; हर उजाले में तीरगी देखी, हर अंधेरे में रौशनी पाई। Meaning: 1. कारगाहे - कार्यालय, कार्य करने का स्थान 2. तीरगी - अंधेरा, अँधियारा। |
तुम्हीं पे मरता है ये दिल, अदावत क्यों नहीं करता; कई जन्मों से बंदी है, बगावत क्यों नहीं करता; कभी तुमसे थी जो, वो ही शिकायत है ज़माने से; मेरी तारीफ़ करता है, मोहब्बत क्यों नहीं करता। |
गम में हूँ या हूँ शाद मुझे खुद पता नहीं; खुद को भी हूँ मैं याद मुझे खुद पता नहीं; मैं तुझ को चाहता हूँ मग़र माँगता नहीं; मौला मेरी मुराद मुझे खुद पता नहीं। |
ये संगदिलों की दुनिया है,संभलकर चलना गालिब; यहाँ पलकों पर बिठाते हैं, नजरों से गिराने के लिए। |