ज़िन्दगी Hindi Shayari

  • थोड़ी मस्ती थोड़ा सा ईमान बचा पाया हूँ;<br />
ये क्या कम है मैं अपनी पहचान बचा पाया हूँ;<br />
कुछ उम्मीदें, कुछ सपने, कुछ महकी-महकी यादें;<br />
जीने का मैं इतना ही सामान बचा पाया हूँ।Upload to Facebook
    थोड़ी मस्ती थोड़ा सा ईमान बचा पाया हूँ;
    ये क्या कम है मैं अपनी पहचान बचा पाया हूँ;
    कुछ उम्मीदें, कुछ सपने, कुछ महकी-महकी यादें;
    जीने का मैं इतना ही सामान बचा पाया हूँ।
  • ज़िन्दगी दरस्त-ए-ग़म थी और कुछ नहीं;<br/>
ये मेरा ही हौंसला है की दरम्यां से गुज़र गया!   Upload to Facebook
    ज़िन्दगी दरस्त-ए-ग़म थी और कुछ नहीं;
    ये मेरा ही हौंसला है की दरम्यां से गुज़र गया!
  • न ख्वाहिशें हैं न शिकवे हैं अब न ग़म हैं कोई;<br/>
ये बेख़ुदी भी कैसे कैसे ग़ुल खिलाती है!Upload to Facebook
    न ख्वाहिशें हैं न शिकवे हैं अब न ग़म हैं कोई;
    ये बेख़ुदी भी कैसे कैसे ग़ुल खिलाती है!
  • जब टूटने लगे हौंसला तो बस ये याद रखना;<br/>
बिना मेहनत के हासिल तख़्त-ओ-ताज नहीं होते;<br/>
ढूढ़ लेना अंधेरे में ही मंजिल अपनी दोस्तों;<br/>
क्योंकि जुगनू कभी रोशनी के मोहताज़ नहीं होते।Upload to Facebook
    जब टूटने लगे हौंसला तो बस ये याद रखना;
    बिना मेहनत के हासिल तख़्त-ओ-ताज नहीं होते;
    ढूढ़ लेना अंधेरे में ही मंजिल अपनी दोस्तों;
    क्योंकि जुगनू कभी रोशनी के मोहताज़ नहीं होते।
  • आगे तो परीजाद ये रखते थे हमें घेर;<br />
आते थे चले आप जो लगती थी ज़रा देर;<br />
सो आके बुढ़ापे ने किया हाय ये अंधेरे;<br />
जो दौड़ के मिलते थे वो अब हैं मुंह फेर।Upload to Facebook
    आगे तो परीजाद ये रखते थे हमें घेर;
    आते थे चले आप जो लगती थी ज़रा देर;
    सो आके बुढ़ापे ने किया हाय ये अंधेरे;
    जो दौड़ के मिलते थे वो अब हैं मुंह फेर।
    ~ Nazeer Akbarabadi
  • कौन अंदाजा मेरे गम का लगा सकता है;
    कौन सही राह दिखा सकता है;
    किनारों वालों तुम उसका दर्द क्या जानो;
    डूबने वाला ही गहराई बता सकता है।
  • हंसने के बाद क्यों रुलाती है दुनिया;
    जाने के बाद क्यों भुलाती है दुनिया;
    जिंदगी में क्या कोई कसर बाकी है;
    जो मर जाने के बाद भी जलाती है दुनिया।
  • आबादी भी देखी है, वीराने भी देखे हैं;
    जो उजड़े और फिर न बसे, दिल की निराली बस्ती है।
    ~ Fani Badayuni
  • हर रिश्ते में विश्वास रहने दो;
    जुबान पर हर वक़्त मिठास रहने दो;
    यही तो अंदाज़ है जिंदगी जीने का;
    न खुद रहो उदास, न दूसरों को रहने दो।
  • जिंदगी ने कुछ इस तरह का रूख लिया;<br/>
जिसने जिस तरफ चाहा मोड़ दिया;<br/>
जिसको जितनी थी जरुरत साथ चला;<br/>
और फिर एक लम्हें में तन्हा छोड़ दिया!Upload to Facebook
    जिंदगी ने कुछ इस तरह का रूख लिया;
    जिसने जिस तरफ चाहा मोड़ दिया;
    जिसको जितनी थी जरुरत साथ चला;
    और फिर एक लम्हें में तन्हा छोड़ दिया!