ज़िन्दगी Hindi Shayari

  • आइने में मेरे अक्सर जो अक्स नज़र आता है,<br/>
ख़ुद से लड़ता हुआ एक शख़्स नज़र आता है,<br/>
क्या पता किस बात से ख़ुद से इतना ख़फ़ा है,<br/>
हर वक़्त बड़ा उदास सा नज़र आता है!Upload to Facebook
    आइने में मेरे अक्सर जो अक्स नज़र आता है,
    ख़ुद से लड़ता हुआ एक शख़्स नज़र आता है,
    क्या पता किस बात से ख़ुद से इतना ख़फ़ा है,
    हर वक़्त बड़ा उदास सा नज़र आता है!
  • ना फिसलो इस उम्मीद में कि कोई तुम्हें उठा लेगा,<br/>
सोच कर मत डूबो दरिया में कि तुम्हें कोई बचा लेगा;<br/>
ये दुनिया तो एक अड्डा है तमाशबीनों का,<br/>
अगर देखा तुम्हें मुसीबत में तो हर कोई यहाँ मज़ा लेगा!Upload to Facebook
    ना फिसलो इस उम्मीद में कि कोई तुम्हें उठा लेगा,
    सोच कर मत डूबो दरिया में कि तुम्हें कोई बचा लेगा;
    ये दुनिया तो एक अड्डा है तमाशबीनों का,
    अगर देखा तुम्हें मुसीबत में तो हर कोई यहाँ मज़ा लेगा!
  • ये ज़िंदगी भी अजब कारोबार है कि मुझे;<br/>
ख़ुशी है पाने की कोई न रंज खोने का!Upload to Facebook
    ये ज़िंदगी भी अजब कारोबार है कि मुझे;
    ख़ुशी है पाने की कोई न रंज खोने का!
    ~ Javed Akhtar
  • आत्मा तो हमेशा से जानती है कि सही क्या है;<br/>
चुनौती तो मन को समझाने की होती है!Upload to Facebook
    आत्मा तो हमेशा से जानती है कि सही क्या है;
    चुनौती तो मन को समझाने की होती है!
  • उन्हें कामयाबी में सुकून नजर आया तो वो दौड़ते गए,<br/>
हमें सुकून में कामयाबी दिखी तो हम ठहर गए;<br/>
ख्वाहिशों के बोझ में बशर तू क्या क्या कर रहा है,<br/>
इतना तो जीना भी नहीं जितना तू मर रहा है!Upload to Facebook
    उन्हें कामयाबी में सुकून नजर आया तो वो दौड़ते गए,
    हमें सुकून में कामयाबी दिखी तो हम ठहर गए;
    ख्वाहिशों के बोझ में बशर तू क्या क्या कर रहा है,
    इतना तो जीना भी नहीं जितना तू मर रहा है!
  • जिंदगी पेंसिल की तरह है,<br/>
रोज छोटी होती जा रही है!Upload to Facebook
    जिंदगी पेंसिल की तरह है,
    रोज छोटी होती जा रही है!
  • पहाड़ियों की तरह खामोश है, आज के संबंध और रिश्ते;<br/>
जब तक हम न पुकारें, उधर से आवाज ही नहीं आती!Upload to Facebook
    पहाड़ियों की तरह खामोश है, आज के संबंध और रिश्ते;
    जब तक हम न पुकारें, उधर से आवाज ही नहीं आती!
  • अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं;<br/>
रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं!Upload to Facebook
    अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं;
    रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं!
    ~ Nida Fazli
  • कभी कभी रिश्तों की कीमत वो लोग समझा देते है;<br/>
जिनसे हमारा कोई रिश्ता ही नहीं है!
Upload to Facebook
    कभी कभी रिश्तों की कीमत वो लोग समझा देते है;
    जिनसे हमारा कोई रिश्ता ही नहीं है!
  • हम तेरी धुन मैं परेशान ज़िन्दगी-ऐ-ज़िन्दगी;<br/>
और तू हम से गुरेजा ज़िन्दगी-ऐ-ज़िन्दगी;<br/>
तू कहीं साकी गली में खो गयी है और यहाँ;<br/>
डंस गया इंसान को इंसान ज़िन्दगी-ऐ-ज़िन्दगी!Upload to Facebook
    हम तेरी धुन मैं परेशान ज़िन्दगी-ऐ-ज़िन्दगी;
    और तू हम से गुरेजा ज़िन्दगी-ऐ-ज़िन्दगी;
    तू कहीं साकी गली में खो गयी है और यहाँ;
    डंस गया इंसान को इंसान ज़िन्दगी-ऐ-ज़िन्दगी!