ये ज़िंदगी भी अजब कारोबार है कि मुझे; ख़ुशी है पाने की कोई न रंज खोने का! |
आत्मा तो हमेशा से जानती है कि सही क्या है; चुनौती तो मन को समझाने की होती है! |
उन्हें कामयाबी में सुकून नजर आया तो वो दौड़ते गए, हमें सुकून में कामयाबी दिखी तो हम ठहर गए; ख्वाहिशों के बोझ में बशर तू क्या क्या कर रहा है, इतना तो जीना भी नहीं जितना तू मर रहा है! |
जिंदगी पेंसिल की तरह है, रोज छोटी होती जा रही है! |
पहाड़ियों की तरह खामोश है, आज के संबंध और रिश्ते; जब तक हम न पुकारें, उधर से आवाज ही नहीं आती! |
अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं; रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं! |
कभी कभी रिश्तों की कीमत वो लोग समझा देते है; जिनसे हमारा कोई रिश्ता ही नहीं है! |
हम तेरी धुन मैं परेशान ज़िन्दगी-ऐ-ज़िन्दगी; और तू हम से गुरेजा ज़िन्दगी-ऐ-ज़िन्दगी; तू कहीं साकी गली में खो गयी है और यहाँ; डंस गया इंसान को इंसान ज़िन्दगी-ऐ-ज़िन्दगी! |
एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद; दूसरा सपना देखने के हौसले को 'ज़िंदगी' कहते हैं! |
दिल खोल कर साँस ले, अंदर ही अंदर घुटने की कोशिश न कर; कुछ बाते भगवान् पर छोड़ दे, सब कुछ खुद सुलझाने की कोशिश न कर! |