जुदाई Hindi Shayari

  • मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे;</br>
तू देख कि क्या रंग है तेरा मेरे आगे!Upload to Facebook
    मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे;
    तू देख कि क्या रंग है तेरा मेरे आगे!
    ~ Mirza Ghalib
  • नया एक रिश्ता पैदा क्यों करें हम,</br>
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यों करें हम;</br>
ख़मोशी से अदा हो रस्म-ए-दूरी,</br>
कोई हंगामा बरपा क्यों करें हम!</br></br>
*बरपा: होनाUpload to Facebook
    नया एक रिश्ता पैदा क्यों करें हम,
    बिछड़ना है तो झगड़ा क्यों करें हम;
    ख़मोशी से अदा हो रस्म-ए-दूरी,
    कोई हंगामा बरपा क्यों करें हम!

    *बरपा: होना
    ~ Jaun Elia
  • अब तो चुप-चाप शाम आती है;</br>
पहले चिड़ियों के शोर होते थे!Upload to Facebook
    अब तो चुप-चाप शाम आती है;
    पहले चिड़ियों के शोर होते थे!
    ~ Mohammed Alvi
  • जुदाइयों के ज़ख़्म दर्द-ए-ज़िंदगी ने भर दिए;</br>
तुझे भी नींद आ गई मुझे भी सब्र आ गया!Upload to Facebook
    जुदाइयों के ज़ख़्म दर्द-ए-ज़िंदगी ने भर दिए;
    तुझे भी नींद आ गई मुझे भी सब्र आ गया!
    ~ Nasir Kazmi
  • उस गली ने ये सुन के सब्र किया;</br>
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं!Upload to Facebook
    उस गली ने ये सुन के सब्र किया;
    जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं!
    ~ Jaun Elia
  • क्यों चलते चलते रुक गए वीरान रास्तो;</br>
तन्हा हूँ आज मैं ज़रा घर तक तो साथ दो!Upload to Facebook
    क्यों चलते चलते रुक गए वीरान रास्तो;
    तन्हा हूँ आज मैं ज़रा घर तक तो साथ दो!
    ~ Adil Mansuri
  • आँखें खुलीं तो जाग उठीं हसरतें तमाम;</br>
उस को भी खो दिया जिसे पाया था ख़्वाब में!Upload to Facebook
    आँखें खुलीं तो जाग उठीं हसरतें तमाम;
    उस को भी खो दिया जिसे पाया था ख़्वाब में!
    ~ Siraj Lakhnavi
  • खो दिया तुम को तो हम पूछते फिरते हैं यही;</br>
जिस की तक़दीर बिगड़ जाए वो करता क्या है!Upload to Facebook
    खो दिया तुम को तो हम पूछते फिरते हैं यही;
    जिस की तक़दीर बिगड़ जाए वो करता क्या है!
    ~ Firaq Gorakhpuri
  • वस्ल में रंग उड़ गया मेरा;</br>
क्या जुदाई को मुँह दिखाऊँगा!</br></br>
 *वस्ल: मिलन  Upload to Facebook
    वस्ल में रंग उड़ गया मेरा;
    क्या जुदाई को मुँह दिखाऊँगा!

    *वस्ल: मिलन
    ~ Mir Taqi Mir
  • तुम से बिछड़ कर ज़िंदा हैं;</br>
जान बहुत शर्मिंदा हैं!Upload to Facebook
    तुम से बिछड़ कर ज़िंदा हैं;
    जान बहुत शर्मिंदा हैं!
    ~ Iftikhar Arif