अब जिस के जी में आये वही पाये रौशनी; हम ने तो दिल जला कर सरेआम रख दिया। |
बहुत थे मेरे भी इस दुनिया मेँ अपने; फिर हुआ इश्क और हम लावारिस हो गए। |
तनहाइयों के शहर में एक घर बना लिया; रुसवाइयों को अपना मुक़द्दर बना लिया; देखा है हमने यहाँ पत्थर को पूजते हैं लोग; इसलिए हमने भी अपने दिल को पत्थर बना लिया। |
प्यार तो ज़िन्दगी को सजाने के लिए है; पर ज़िन्दगी बस दर्द बहाने के लिए है; मेरे अंदर की उदासी काश कोई पढ़ ले; ये हँसता हुआ चेहरा तो ज़माने के लिए है। |
बिछड़ गए हैं जो उनका साथ क्या मांगू; ज़रा सी उम्र बाकी है इस गम से निजात क्या मांगू; वो साथ होते तो होती ज़रूरतें भी हमें; अपने अकेले के लिए कायनात क्या मांगू। |
चुपके चुपके कोई गम का खाना हम से सीख जाये; जी ही जी में तिलमिलाना कोई हम से सीख जाये; अब्र क्या आँसू बहाना कोई हमसे सीख जाये; बर्क क्या है तिलमिलाना कोई हम से सीख जाये। |
कुछ लोग पसंद करने लगे हैं अल्फाज मेरे; मतलब मोहब्बत में बरबाद और भी हुए हैं। |
तुझे अपना बनाने की हसरत थी, जो बस दिल में ही रह गयी; चाहा था तुझे टूट कर हमने; चाहत थी बस चाहत बन कर रह गयी। |
इसी ख्याल से गुज़री है शाम-ए-दर्द अक्सर; कि दर्द हद से जो गुज़रेगा मुस्कुरा दूंगा। |
दुःख देते हो खुद और खुद ही सवाल करते हो; तुम भी ओ सनम, कमाल करते हो; देख कर पूछ लिया है हाल मेरा; चलो शुक्र है कुछ तो ख्याल करते हो। |