बेवफ़ाई Hindi Shayari

  • सच्चाई यह नहीं कि इंसान बदल जाते हैं;<br/>
सच तो यह है कि नकाब उतर जाते हैं!Upload to Facebook
    सच्चाई यह नहीं कि इंसान बदल जाते हैं;
    सच तो यह है कि नकाब उतर जाते हैं!
  • दिल से रोये मगर होंठो से मुस्कुरा बैठे,<br/>
यूँ ही हम किसी से वफ़ा निभा बैठे;<br/>
वो हमें एक लम्हा न दे पाए अपने प्यार का,<br/>
और हम उनके लिये ज़िन्दगी लुटा बैठे!Upload to Facebook
    दिल से रोये मगर होंठो से मुस्कुरा बैठे,
    यूँ ही हम किसी से वफ़ा निभा बैठे;
    वो हमें एक लम्हा न दे पाए अपने प्यार का,
    और हम उनके लिये ज़िन्दगी लुटा बैठे!
  • बेवफाई उसकी दिल से मिटा के आया हूँ,<br/>
ख़त भी उसके पानी में बहा के आया हूँ,<br/>
कोई पढ़ न ले उस बेवफा की यादों को,<br/>
इसलिए पानी में भी आग लगा कर आया हूँ।Upload to Facebook
    बेवफाई उसकी दिल से मिटा के आया हूँ,
    ख़त भी उसके पानी में बहा के आया हूँ,
    कोई पढ़ न ले उस बेवफा की यादों को,
    इसलिए पानी में भी आग लगा कर आया हूँ।
  • तुझे करनी है बेवफाई तो इस अदा से कर;<br/>
कि तेरे बाद कोई बेवफ़ा न लगे।Upload to Facebook
    तुझे करनी है बेवफाई तो इस अदा से कर;
    कि तेरे बाद कोई बेवफ़ा न लगे।
  • जाते जाते उसने पलटकर सिर्फ इतना कहा मुझसे,<br/>

मेरी बेवफाई से ही मर जाओगे या मार के जाऊं।Upload to Facebook
    जाते जाते उसने पलटकर सिर्फ इतना कहा मुझसे,
    मेरी बेवफाई से ही मर जाओगे या मार के जाऊं।
  • नाराज़गी बहुत है हम दोनों के दरमियान;<br/>
वो गलत कहता है कि कोई रिश्ता नहीं रहा!Upload to Facebook
    नाराज़गी बहुत है हम दोनों के दरमियान;
    वो गलत कहता है कि कोई रिश्ता नहीं रहा!
  • इक उम्र से हूँ लज़्जत-ए-गिरिया से महरूम;<br/>
ऐ राहत-ए-जाँ मुझ को मनाने के लिये आ!<br/><br/>
लज़्ज़त-ए-गिरिया: रोने के सुख<br/>
महरूम: वंचित<br/>
राहत-ए-जाँ: जो जान को सुख दे, प्रियेसीUpload to Facebook
    इक उम्र से हूँ लज़्जत-ए-गिरिया से महरूम;
    ऐ राहत-ए-जाँ मुझ को मनाने के लिये आ!

    लज़्ज़त-ए-गिरिया: रोने के सुख
    महरूम: वंचित
    राहत-ए-जाँ: जो जान को सुख दे, प्रियेसी
    ~ Ahmad Faraz
  • फिर निगाहों में धूल उड़ती है;<BR/>
अक्स फिर आइने बदलने लगे!Upload to Facebook
    फिर निगाहों में धूल उड़ती है;
    अक्स फिर आइने बदलने लगे!
    ~ Amjad Islam Amjad
  • रोकना मेरी हसरत थी, चले जाना उनका शौक;<br/>
वो शौक पूरा कर गए,मेरी हसरतें तोड़ कर!Upload to Facebook
    रोकना मेरी हसरत थी, चले जाना उनका शौक;
    वो शौक पूरा कर गए,मेरी हसरतें तोड़ कर!
  • तेरी राह-ए-तलब में ज़ख़्म सब सीने पे खाये हैं;<br/>
बहार-ए-ग़ुलिस्तां मेरी हयात-ए-जावेदाँ मेरी!Upload to Facebook
    तेरी राह-ए-तलब में ज़ख़्म सब सीने पे खाये हैं;
    बहार-ए-ग़ुलिस्तां मेरी हयात-ए-जावेदाँ मेरी!
    ~ Shamsi Meenai