फिर निगाहों में धूल उड़ती है; अक्स फिर आइने बदलने लगे! |
रोकना मेरी हसरत थी, चले जाना उनका शौक; वो शौक पूरा कर गए,मेरी हसरतें तोड़ कर! |
तेरी राह-ए-तलब में ज़ख़्म सब सीने पे खाये हैं; बहार-ए-ग़ुलिस्तां मेरी हयात-ए-जावेदाँ मेरी! |
अपने मन में डूब कर पा जा सु्राग़-ए-ज़िन्दगी; तू अगर मेरा नहीं बनता न बन, अपना तो बन! |
बदल गए सब लोग आहिस्ता-आहिस्ता; अब तो अपना भी हक़ बनता है! |
दिल की वीरानी का क्या मज़कूर है; ये नगर सौ मर्तबा लूटा गया! |
तुझ को खबर नहीं मगर इक सादा-लौह को; बर्बाद कर दिया तेरे दो दिन के प्यार ने। |
कैसे कह दूं कि बदले में कुछ नहीं मिला; सबक भी कोई छोटी चीज तो नहीं। |
आँख में आँख डालकर बात तो करके देखता; इतना भी एतमाद उसे अपनी निगाह पर नहीं। |
ना करना हमसे प्यार का फिर झुठा वादा; माँगी है आज दुआ के तुझे भूल जायें हम! |