ख्वाब बोये थे, और अकेलापन काटा है; इस मोहब्बत में, यारों बहुत घाटा है! |
बेवक्त, बेवजह, बे-सबब सी बेरुखी तेरी; फिर भी, बेइंतेहा, बेताब सी चाहत की बेबसी मेरी! |
वक्त इशारा देता रहा और हम इत्तेफाक़ समझते रहे; बस यूँ ही धोखे ख़ाते गए और इस्तेमाल होते रहे! |
तुम्हारा नाम, किसी अजनबी की जुबान पर था; बात जरा सी थी, पर चुभी बहुत! |
छोड दी हमने हमेशा के लिए उसकी आरजू करनी; जिसे मोहब्बत की कद्र ना हो उसे दुआओ में क्या माँगना! |
ऐ मेरा जनाज़ा उठाने वालो, देखना कोई बेवफा पास न हो; अगर हो तो उस से कहना, आज तो खुशी का मौका है, उदास न हो! |
कमाल करते हैं हमसे जलन रखने वाले; महफिलें खुद की सजाते हैं और चर्चे हमारे करते हैं! |
वो जो सर झुकाए बैठे हैं, हमारा दिल चुराए बैठे हैं; हमने कहा हमारा दिल लौटा दो, वो बोले हम तो हाथों में मेहँदी लगाये बैठे हैं! |
बदला बदला सा है मिजाज, क्या बात हो गई; शिकायत हमसे है, या किसी और से मुलाकात हो गई! |
जिन्दगी पर बस इतना ही लिख पाया हूँ मैं; बहुत मजबूत रिश्ते थे कुछ कमज़ोर लोगों से! |