बहुत ख़ास थे कभी नज़रों में किसी के हम भी; मगर नज़रों के तकाज़े बदलने में देर कहाँ लगती है। |
हर धड़कन में एक राज़ होता है; बात को बताने का भी एक अंदाज़ होता है; जब तक ना लगे ठोकर बेवाफ़ाई की; हर किसी को अपने प्यार पर नाज़ होता है। |
मेरी तलाश का है जुर्म या मेरी वफा का क़सूर; जो दिल के करीब आया वही बेवफा निकला। |
हो गया हूँ मशहूर तो ज़ाहिर है दोस्तो; इलज़ाम सौ तरह के मेरे सर भी आयेंगे; थोड़ा सा अपनी चाल बदल कर चलो; सीधे चले तो मुमकिन है पीठ में खंज़र भी आयेंगे। |
ना जाने क्या सोच कर लहरें साहिल से टकराती हैं; और फिर समंदर में लौट जाती हैं; समझ नहीं आता कि किनारों से बेवफाई करती हैं; या फिर लौट कर समंदर से वफ़ा निभाती हैं। |
हर पल कुछ सोचते रहने की आदत हो गयी है; हर आहट पे चौंक जाने की आदत हो गयी है; तेरे इश्क़ में ऐ बेवफा, हिज्र की रातों के संग; हमको भी जागते रहने की आदत हो गयी है। |
दुनिया ने किस का राह-ए-वफ़ा में दिया है साथ; तुम भी चले चलो यूँ ही जब तक चली चले। |
काम आ सकीं ना अपनी वफ़ाएं तो क्या करें; उस बेवफा को भूल ना जाएं तो क्या करें। |
वो पानी की लहरों पे क्या लिख रहा था; खुदा जाने हरफ-ऐ-दुआ लिख रहा था; महोब्बत में मिली थी नफरत उसे भी शायद; इसलिए हर शख्स को शायद बेवफा लिख रहा था। |
मशहूर हो गया हूँ तो ज़ाहिर है दोस्तो; इलज़ाम सौ तरह के मेरे सर भी आयेंगे; थोड़ा सा अपनी चाल बदल कर चलो; सीधे चले तो मुमकिन है पीठ में खंज़र भी आयेंगे। |