अपनी पलकों से जो टूटे हैं गुहर देखते हैं; हम दुआ माँगते हैं और असर देखते हैं! *गुहर: मोती |
शाख़ों पर जब पत्ते हिलने लगते हैं; आँसू मेरे दिल पे गिरने लगते हैं! |
तू इश्क की दूसरी निशानी दे दे मुझको;br/> आँसू तो रोज गिर कर सूख जाते हैं! |
रोता वही है जिसने महसूस किया हो सच्चे रिश्ते कों; वरना मतलब के रिश्तें रखने वाले को तो कोई भी नही रूला सकता! |
मोहब्बत की राहों से अब दूर ही रहें तो अच्छा; आँखों के पोरों को सूखने में देर बहुत लगती है! |
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को; क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया! |
लगती है चोट दिल पर आता है याद जिस दम, शबनम के आंसुओं पर कलियों का मुस्कराना; वो प्यारी-प्यारी सूरत वो कामिनी-सी मूरत, आबाद जिसके दम से था मेरा आशियाना! |
कौन कहता है कि आंसुओं में वज़न नहीं होता; एक भी छलक जाए तो मन हल्का हो जाता है! |
न जाने कौन सा आँसू मेरा राज़ खोल दे; हम इस ख़्याल से नज़रें झुकाए बैठे हैं! |
दो आँखों में दो ही आँसू, एक तेरे लिए एक तेरी खातिर! |