इज़हार Hindi Shayari

  • हमेशा फूलों की तरह, अपनी आदत से बेबस रहिये;<br/>
तोडने वाले को भी, खुशबू की सजा देते रहिये!Upload to Facebook
    हमेशा फूलों की तरह, अपनी आदत से बेबस रहिये;
    तोडने वाले को भी, खुशबू की सजा देते रहिये!
  • ना जाने जिंदगी का, ये कैसा दौर है,<br/>
इंसान खामोश है, और ऑनलाइन कितना शोर है।
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    ना जाने जिंदगी का, ये कैसा दौर है,
    इंसान खामोश है, और ऑनलाइन कितना शोर है।
  • थोड़ा सा बचपन साथ रखियेगा जिंदगी की शाम में,<br/>
उम्र महसूस ही न होगी, सफ़र के आखरी मुकाम में!Upload to Facebook
    थोड़ा सा बचपन साथ रखियेगा जिंदगी की शाम में,
    उम्र महसूस ही न होगी, सफ़र के आखरी मुकाम में!
  • खुदा तो इक तरफ, खुद से भी कोसों दूर होता है,<br/>
बशर जिस वक्त ताकत के नशे में चूर होता है!<br/><br/>

बशर - मानवUpload to Facebook
    खुदा तो इक तरफ, खुद से भी कोसों दूर होता है,
    बशर जिस वक्त ताकत के नशे में चूर होता है!

    बशर - मानव
  • चंद तस्वीर-ऐ-बुताँ, चंद हसीनों के खतूत;<br/>
बाद मरने के मेरे घर से यह सामान निकला!

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    चंद तस्वीर-ऐ-बुताँ, चंद हसीनों के खतूत;
    बाद मरने के मेरे घर से यह सामान निकला!
    ~ Mirza Ghalib
  • गलतफहमी से बढ़कर दोस्ती का दुश्मन नहीं कोई,<br/>
परिंदों को उड़ाना हो तो बस शाख़ें हिला दीजिए!Upload to Facebook
    गलतफहमी से बढ़कर दोस्ती का दुश्मन नहीं कोई,
    परिंदों को उड़ाना हो तो बस शाख़ें हिला दीजिए!
  • ये कश्मकश है ज़िंदगी की, कि कैसे बसर करें;<br/>
चादर बड़ी करें या, ख़्वाहिशे दफ़न करे!
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    ये कश्मकश है ज़िंदगी की, कि कैसे बसर करें;
    चादर बड़ी करें या, ख़्वाहिशे दफ़न करे!
  • आज हर ख़ामोशी को मिटा देने का मन है;<br/>
जो भी छिपा रखा है मन में लूटा देने का मन है!
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    आज हर ख़ामोशी को मिटा देने का मन है;
    जो भी छिपा रखा है मन में लूटा देने का मन है!
    ~ Gulzar
  • मयखाने से पूछा आज, इतना सन्नाटा क्यों है,<br/>
मयखाना भी मुस्कुरा के बोला, लहू का दौर है साहब, अब शराब कौन पीता है!Upload to Facebook
    मयखाने से पूछा आज, इतना सन्नाटा क्यों है,
    मयखाना भी मुस्कुरा के बोला, लहू का दौर है साहब, अब शराब कौन पीता है!
  • कभी तो कोई ख़ुशी चखा ऐ ज़िंदगी;<br/>

तुझसे किसने कह दिया के हमारा रोज़ा है!Upload to Facebook
    कभी तो कोई ख़ुशी चखा ऐ ज़िंदगी;
    तुझसे किसने कह दिया के हमारा रोज़ा है!