गिला शिकवा Hindi Shayari

  • हँसकर कबूल क्या कर ली सजाएँ मैंने,<br/>
ज़माने ने दस्तूर ही बना लिया हर इलज़ाम मुझ पर मढ़ने का।Upload to Facebook
    हँसकर कबूल क्या कर ली सजाएँ मैंने,
    ज़माने ने दस्तूर ही बना लिया हर इलज़ाम मुझ पर मढ़ने का।
  • वो भी आधी रात को निकला और मैं भी,<br/>
फिर क्यों उसे चाँद और मुझे आवारा कहते हैं लोग।Upload to Facebook
    वो भी आधी रात को निकला और मैं भी,
    फिर क्यों उसे चाँद और मुझे आवारा कहते हैं लोग।
  • हवा को कह दो कि खुद को आज़मा के दिखाए,<br/>
बहुत चिराग बुझाती है कभी एक जला के तो दिखाए।Upload to Facebook
    हवा को कह दो कि खुद को आज़मा के दिखाए,
    बहुत चिराग बुझाती है कभी एक जला के तो दिखाए।
  • नफरत करने वाले भी गज़ब का प्यार करते हैं,<br/>
जब भी मिलते हैं कहते हैं तुम्हें छोड़ेंगे नहीं।Upload to Facebook
    नफरत करने वाले भी गज़ब का प्यार करते हैं,
    जब भी मिलते हैं कहते हैं तुम्हें छोड़ेंगे नहीं।
  • गुमान ना कर अपने दिमाग पर ऐ दोस्त,<br/>
जितना तेरे पास है उतना तो मेरा ख़राब रहता है।Upload to Facebook
    गुमान ना कर अपने दिमाग पर ऐ दोस्त,
    जितना तेरे पास है उतना तो मेरा ख़राब रहता है।
  • चलने दो ज़रा आँधियाँ हक़ीक़त की,<br/>
न जाने कौन से झोंके से अपनों के मुखौटे उड़ जायें।Upload to Facebook
    चलने दो ज़रा आँधियाँ हक़ीक़त की,
    न जाने कौन से झोंके से अपनों के मुखौटे उड़ जायें।
  • आए तो यूँ कि जैसे हमेशा थे मेहरबान,<br/>
भूले तो यूँ कि गोया कभी आश्ना न थे।Upload to Facebook
    आए तो यूँ कि जैसे हमेशा थे मेहरबान,
    भूले तो यूँ कि गोया कभी आश्ना न थे।
    ~ Faiz Ahmad Faiz
  • तुझमें और मुझमे फर्क सिर्फ इतना सा है कि,<br/>
तेरा कुछ कुछ हूँ मैं और मेरा सब कुछ है तू।Upload to Facebook
    तुझमें और मुझमे फर्क सिर्फ इतना सा है कि,
    तेरा कुछ कुछ हूँ मैं और मेरा सब कुछ है तू।
  • किस्मत ने जैसा चाहा वैसे ढल गए हम,<br/>
बहुत संभल के चले फिर भी फिसल गए हम,<br/>
किसी ने विश्वास तोडा तो किसी ने दिल,<br/>
और लोगों को लगा कि बदल गए हम।Upload to Facebook
    किस्मत ने जैसा चाहा वैसे ढल गए हम,
    बहुत संभल के चले फिर भी फिसल गए हम,
    किसी ने विश्वास तोडा तो किसी ने दिल,
    और लोगों को लगा कि बदल गए हम।
  • उसका चेहरा भी सुनाता है कहानी उसकी,<br/>
चाहती हूँ कि सुनूँ उस से ज़ुबानी उस की,<br/>
वो सितमगर है तो अब उससे शिकायत कैसी,<br/>
और सितम करना भी आदत पुरानी उसकी।Upload to Facebook
    उसका चेहरा भी सुनाता है कहानी उसकी,
    चाहती हूँ कि सुनूँ उस से ज़ुबानी उस की,
    वो सितमगर है तो अब उससे शिकायत कैसी,
    और सितम करना भी आदत पुरानी उसकी।
    ~ Rehana Qamar