मुझे बख्शी ख़ुदा ने कौन रोकेगा ज़ुबाँ मेरी; तुम्हें हर हाल में सुननी पड़ेगी दास्तां मेरी! |
ग़म दिये हैं हयात ने हम को; ग़म ने हम से हयात पायी है! |
लुत्फ़-ए-कलाम क्या जो न हो दिल में दर्द-ए-इश्क; बिस्मिल नहीं है तू तो तड़पना भी छोड़ दे! |
दिल से रुख़स्त हुई कोई ख़्वाहिश; गिर्या कुछ बे-सबब नहीं आता! Rukhsat, रुख़स्त: Departing Giryaa, गिर्या: Tears, Crying Be-Sabab, बे-सबब: Without any cause |
जी में क्या-क्या है अपने ऐ हम-दम; पर सुखन ता-बलब नहीं आता! |
चलो बाँट लेते हैं अपनी सज़ायें; न तुम याद आओ न हम याद आयें! |
दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं; कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं! |
दिल के लिए हयात का पैगाम बन गयीं; बैचैनियाँ सिमट के तेरा नाम बन गयीं! हयात = जिन्दगी, जीवन |
दिल गया रौनक़-ए-हयात गई; ग़म गया सारी क़ायनात गई! हयात = ज़िन्दगी |
रंग बातें करें और बातों से ख़ुश्बू आए; दर्द फूलों की तरह महके अगर तू आए! |