तुम भी कर के देख लो मोहब्बत किसी से; जान जाओगे कि हम मुस्कुराना क्यों भूल गए। |
मेरे प्यार को वो समझ नहीं पाया; रोते थे जब बैठ तनहा तो कोई पास नहीं आया; मिटा दिया खुद को किसी के प्यार में; तो भी लोग कहते हैं कि मुझे प्यार करना नहीं आया। |
उदासियों के सन्नाटे बड़े एहतराम से रहते मुझ में; अब दिल भी धड़कता है तो शोर लगता है। |
पा लिया था दुनिया की सबसे हसीन को; इस बात का तो हमें कभी गुरूर न था; वो रह पाते पास कुछ दिन और हमारे; शायद यह हमारे नसीब को मंज़ूर नहीं था। |
यह ग़ज़लों की दुनिया भी अजीब है; यहाँ आँसुओं का भी जाम बनाया जाता है; कह भी देते हैं अगर दर्द-ए-दिल की दास्तान; फिर भी वाह-वाह ही पुकारा जाता है। |
उसकी मोहब्बत का सिलसिला भी क्या अजीब सिलसिला था; अपना भी नहीं बनाया और किसी का होने भी नहीं दिया। |
अजीब रंग का मौसम चला है कुछ दिन से; नज़र पे बोझ है और दिल खफा है कुछ दिन से; वो और थे जिसे तू जानता था बरसों से; मैं और हूँ जिसे तू मिल रहा है कुछ दिन से। |
उनसे मिलने की जो सोचें अब वो ज़माना नहीं; घर भी उनके कैसे जायें अब तो कोई बहाना नहीं; मुझे याद रखना तुम कहीं भुला ना देना; माना कि बरसों से तेरी गली में आना-जाना नहीं। |
ना हम रहे दिल लगाने के काबिल; ना दिल रहा ग़म उठाने के काबिल; लगे उसकी यादों के जो ज़ख़्म दिल पर; ना छोड़ा उसने फिर मुस्कुराने के काबिल। |
अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं; रुख हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं; पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता हैं; अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं। |