मैं हूँ हैरान ये सिलसिला क्या है; आइना मुझ में ढूँढता क्या है! |
मजबूरियों के नाम पे सब छोड़ना पड़ा; दिल तोड़ना कठिन था मगर तोड़ना पड़ा! |
हमारी जान तुम ऐसा करोगी; हमारी जान का सौदा करोगी! |
रफ़्ता रफ़्ता चीख़ना आराम हो जाने के बाद; डूब जाना फिर निकलना शाम हो जाने के बाद! |
कोई कैसा ही साबित हो तबीयत आ ही जाती है; ख़ुदा जाने ये क्या आफ़त है आफ़त आ ही जाती है! *तबीयत: स्वभाव |
अपनी पलकों से जो टूटे हैं गुहर देखते हैं; हम दुआ माँगते हैं और असर देखते हैं! *गुहर: मोती |
पर्दा तुम्हारे रुख़ से हटाना पड़ा मुझे; यूँ अपनी हसरतों को जगाना पड़ा मुझे! |
ज़रा सा जोश क्या दरिया में आया; समंदर की बुराई कर रहा है! |
फिर ये किस ने मुझे जगाया है; फिर से ख़्वाबों में कौन आया है! |
तुम्हीं बताओ कि अब और तुम से क्या माँगूँ; ये दर्द-ए-दिल जो दिया है मुझे वो क्या कम है! |