न जी भर के देखा न कुछ बात की; बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की! |
मैं वक़्त बन जाऊं तू बन जाना कोई लम्हा; मैं तुझमें गुजर जाऊं तू मुझमें गुजर जाना! |
इक छोटी सी ही तो हसरत है इस दिल ए नादान की; कोई चाह ले इस कदर कि खुद पर गुमान हो जाए! |
काश एक ख्वाहिश पूरी हो इबादत के बगैर; वो आके गले लगा ले मेरी इजाजत के बगैर! |
आँखों में तेरी डूब जाने को दिल चाहता है, इश्क में तेरे बर्बाद होने को दिल चाहता है, कोई संभाले बहक रहे है मेरे कदम, वफ़ा में तेरी मर जाने को दिल चाहता है! |
ख्वाहिश तो थी मिलने की पर कभी कोशिश नहीं की; सोचा जब खुदा माना है उसको तो बिन देखे ही पूजेंगे! |
मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता हूँ; मगर रोज़ सुबह यह मुझसे पहले जाग जाती हैं! |
आरज़ू है कि तू यहाँ आए; और फिर उम्र भर न जाए कहीं! |
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले; बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले! |
तेरे गमों को तेरी ख़ुशी कर दें, हर सुबह तेरी दुनिया में रौशनी भर दें; जब भी टूटने लगें तेरी साँसे, खुदा तुझमें शामिल मेरी जिंदगी कर दे। |