ग़ज़ब किया तेरे वादे पे ऐतबार किया; तमाम रात क़यामत का इंतिज़ार किया! |
ये कैसा नशा है मैं किस अजब ख़ुमार में हूँ; तू आ के जा भी चुका है मैं इंतज़ार में हूँ! |
आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो; साया कोई लहराए तो लगता है कि तुम हो! |
किस किस तरह की दिल में गुज़रती हैं हसरतें; है वस्ल से ज़्यादा मज़ा इंतज़ार का! *वस्ल: मिलन |
कभी तो दैर-ओ-हरम से तू आएगा वापस; मैं मय-कदे में तेरा इंतज़ार कर लूँगा! *मय-कदे: शराब पीने का स्थान, मदिरालय |
फिर बैठे बैठे वादा-ए-वस्ल उस ने कर लिया; फिर उठ खड़ा हुआ वही रोग इंतज़ार का! *वादा-ए-वस्ल: मिलने का वादा |
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता; अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता! |
रात आ कर गुज़र भी जाती है; एक हमारी सहर नहीं होती! |
जिसे न आने की क़स्में मैं दे के आया हूँ; उसी के क़दमों की आहट का इंतज़ार भी है! |
मुद्दत से ख़्वाब में भी नहीं नींद का ख़याल; हैरत में हूँ ये किस का मुझे इंतज़ार है! |