हमेशा फूलों की तरह, अपनी आदत से बेबस रहिये; तोडने वाले को भी, खुशबू की सजा देते रहिये! |
ना जाने जिंदगी का, ये कैसा दौर है, इंसान खामोश है, और ऑनलाइन कितना शोर है। |
थोड़ा सा बचपन साथ रखियेगा जिंदगी की शाम में, उम्र महसूस ही न होगी, सफ़र के आखरी मुकाम में! |
खुदा तो इक तरफ, खुद से भी कोसों दूर होता है, बशर जिस वक्त ताकत के नशे में चूर होता है! बशर - मानव |
चंद तस्वीर-ऐ-बुताँ, चंद हसीनों के खतूत; बाद मरने के मेरे घर से यह सामान निकला! |
गलतफहमी से बढ़कर दोस्ती का दुश्मन नहीं कोई, परिंदों को उड़ाना हो तो बस शाख़ें हिला दीजिए! |
ये कश्मकश है ज़िंदगी की, कि कैसे बसर करें; चादर बड़ी करें या, ख़्वाहिशे दफ़न करे! |
आज हर ख़ामोशी को मिटा देने का मन है; जो भी छिपा रखा है मन में लूटा देने का मन है! |
मयखाने से पूछा आज, इतना सन्नाटा क्यों है, मयखाना भी मुस्कुरा के बोला, लहू का दौर है साहब, अब शराब कौन पीता है! |
कभी तो कोई ख़ुशी चखा ऐ ज़िंदगी; तुझसे किसने कह दिया के हमारा रोज़ा है! |