गिला शिकवा Hindi Shayari

  • उडती हुई अफवाहों के जवाब तो बहुत थे मेरे पास;<br/>
मगर खत्म हुए किस्सों की खामोशी ही बेहतर लगी!
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    उडती हुई अफवाहों के जवाब तो बहुत थे मेरे पास;
    मगर खत्म हुए किस्सों की खामोशी ही बेहतर लगी!
  • परदो की क्या बिसात जो दीदार को रोक दे;<br/>

नजर में धार हो तो क्या इस पार क्या उस पार!Upload to Facebook
    परदो की क्या बिसात जो दीदार को रोक दे;
    नजर में धार हो तो क्या इस पार क्या उस पार!
  • शिकायतें शोर मचाती हैं बहुत,<br/>
प्यार की आवाज अब ठीक से सुनाई नहीं देती!Upload to Facebook
    शिकायतें शोर मचाती हैं बहुत,
    प्यार की आवाज अब ठीक से सुनाई नहीं देती!
  • जवाँ होने लगे जब वो तो हम से कर लिया पर्दा,<br/>
हया यकलखत आई, और शबाब आहिस्ता-आहिस्ता!Upload to Facebook
    जवाँ होने लगे जब वो तो हम से कर लिया पर्दा,
    हया यकलखत आई, और शबाब आहिस्ता-आहिस्ता!
    ~ Ameer Minai
  • गज़ब किया जो तेरे वादे पे एतबार किया;<br/>
तमाम रात हमने क़यामत का इंतज़ार किया;<br/>
न पूछ दिल की हक़ीक़त मगर यह कहतें है;<br/>
वो बेक़रार रहे जिसने बेक़रार किया!Upload to Facebook
    गज़ब किया जो तेरे वादे पे एतबार किया;
    तमाम रात हमने क़यामत का इंतज़ार किया;
    न पूछ दिल की हक़ीक़त मगर यह कहतें है;
    वो बेक़रार रहे जिसने बेक़रार किया!
    ~ Daagh Dehlvi
  • कहा से सीखें हुनर उसे मानाने का;<br/>
कोई जवाज़ न था उस के रूठ जाने का;<br/>
हर बात में सजा भी मुझे ही मिलनी थी;<br/>
के जुर्म मैंने किया था उनसे दिल लगाने का!Upload to Facebook
    कहा से सीखें हुनर उसे मानाने का;
    कोई जवाज़ न था उस के रूठ जाने का;
    हर बात में सजा भी मुझे ही मिलनी थी;
    के जुर्म मैंने किया था उनसे दिल लगाने का!
  • बहुत मुश्किल से सुलाया था खुद को `फ़राज़` मैंने आज;<br/>
अपनी आँखों को तेरे ख्वाब का लालच दे कर!Upload to Facebook
    बहुत मुश्किल से सुलाया था खुद को `फ़राज़` मैंने आज;
    अपनी आँखों को तेरे ख्वाब का लालच दे कर!
    ~ Ahmad Faraz
  • देख कैसी क़यामत सी बरपा हुई है आशियानों पर इक़बाल;<br/>
जो लहू से तामीर हुए थे, पानी से बह गए!Upload to Facebook
    देख कैसी क़यामत सी बरपा हुई है आशियानों पर इक़बाल;
    जो लहू से तामीर हुए थे, पानी से बह गए!
    ~ Allama Iqbal
  • ऐसी बेरुखी भी देखी है, हम ने आज कल के लोगों में;<br/>
आप से तुम तक, तुम से जान तक, जान से अनजान तक हो जाते हैं!Upload to Facebook
    ऐसी बेरुखी भी देखी है, हम ने आज कल के लोगों में;
    आप से तुम तक, तुम से जान तक, जान से अनजान तक हो जाते हैं!
  • हसरत भरी निगाहों को आराम तक नहीं,<br/>
वो यूँ बदल गये है के अब सलाम तक नहीं!
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    हसरत भरी निगाहों को आराम तक नहीं,
    वो यूँ बदल गये है के अब सलाम तक नहीं!