गिला शिकवा Hindi Shayari

  • धूप की गरमी से ईंटें पक गयीं फल पक गए;</br>
एक हमारा जिस्म था 'अख़्तर' जो कच्चा रह गया!Upload to Facebook
    धूप की गरमी से ईंटें पक गयीं फल पक गए;
    एक हमारा जिस्म था 'अख़्तर' जो कच्चा रह गया!
  • सिर्फ़ एक क़दम उठा था ग़लत राह-ए-शौक़ में;</br>
मंज़िल तमाम उम्र मुझे ढूँढती रही!Upload to Facebook
    सिर्फ़ एक क़दम उठा था ग़लत राह-ए-शौक़ में;
    मंज़िल तमाम उम्र मुझे ढूँढती रही!
    ~ Abdul Hameed Adam
  • तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूंढो;</br>
चाहा था तुम्हें एक यही इल्ज़ाम बहुत है!Upload to Facebook
    तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूंढो;
    चाहा था तुम्हें एक यही इल्ज़ाम बहुत है!
    ~ Sahir Ludhianvi
  • नयी सुब्ह पर नज़र है मगर आह ये भी डर है;</br>
ये सहर भी रफ़्ता रफ़्ता कहीं शाम तक न पहुँचे!Upload to Facebook
    नयी सुब्ह पर नज़र है मगर आह ये भी डर है;
    ये सहर भी रफ़्ता रफ़्ता कहीं शाम तक न पहुँचे!
    ~ Shakeel Badayuni
  • कब वो सुनता है कहानी मेरी;</br>
और फिर वो भी ज़बानी मेरी!Upload to Facebook
    कब वो सुनता है कहानी मेरी;
    और फिर वो भी ज़बानी मेरी!
    ~ Mirza Ghalib
  • उस ना-ख़ुदा के ज़ुल्म ओ सितम हाए क्या करूँ;</br>
कश्ती मेरी डुबोई है साहिल के आस-पास!</br>
*साहिल: किनाराUpload to Facebook
    उस ना-ख़ुदा के ज़ुल्म ओ सितम हाए क्या करूँ;
    कश्ती मेरी डुबोई है साहिल के आस-पास!
    *साहिल: किनारा
    ~ Hasrat Mohani
  • ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं,</br>
वफ़ा-दारी का दावा क्यों करें हम;</br>
वफ़ा इख़्लास क़ुर्बानी मोहब्बत,</br>
अब इन लफ़्ज़ों का पीछा क्यों करें हम!</br>
*इख़्लास: सच्चा और निष्कपट प्रेम
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    ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं,
    वफ़ा-दारी का दावा क्यों करें हम;
    वफ़ा इख़्लास क़ुर्बानी मोहब्बत,
    अब इन लफ़्ज़ों का पीछा क्यों करें हम!
    *इख़्लास: सच्चा और निष्कपट प्रेम
    ~ Jaun Elia
  • मुद्दतों बाद, लौटे है तेरे शहर में,<br />
एक तुझे छोड़,  कुछ भी तो नहीं बदला !<br />Upload to Facebook
    मुद्दतों बाद, लौटे है तेरे शहर में,
    एक तुझे छोड़, कुछ भी तो नहीं बदला !
  • तो क्या सारे गिले-शिकवे अभी कर लोगे मुझ से,</br>
कुछ अब कल के लिए रखो मुझे नींद आ रही है;</br>
सहर होगी तो देखेंगे कि हैं क्या क्या मसाइल,</br>
ज़रा सी देर सोने दो मुझे नींद आ रही है!</br>
*मसाइल: समस्याएँUpload to Facebook
    तो क्या सारे गिले-शिकवे अभी कर लोगे मुझ से,
    कुछ अब कल के लिए रखो मुझे नींद आ रही है;
    सहर होगी तो देखेंगे कि हैं क्या क्या मसाइल,
    ज़रा सी देर सोने दो मुझे नींद आ रही है!
    *मसाइल: समस्याएँ
    ~ Mohsin Asrar
  • अपने हर हर लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा;</br>
उस को छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा;</br>
तुम गिराने में लगे थे तुम ने सोचा ही नहीं,</br>
मैं गिरा तो मसला बन कर खड़ा हो जाऊँगा!Upload to Facebook
    अपने हर हर लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा;
    उस को छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा;
    तुम गिराने में लगे थे तुम ने सोचा ही नहीं,
    मैं गिरा तो मसला बन कर खड़ा हो जाऊँगा!