क्यों डरे कि ज़िन्दग़ी में क्या होगा, हर वक़्त क्यों सोचे कि बुरा होगा; बढ़ते रहे बस मंज़िलो की ओर, हमे कुछ मिले या ना मिले, तज़ुर्बा तो नया होगा! |
आते हैं आने दो ये तूफ़ान क्या ले जाएंगे; मैं तो जब डरता कि मेरा हौसला ले जाएंगे! |
होता है फख्र देख के अक्सर ही आईना; मैंने कभी ज़मीर का सौदा नहीं किया! |
माँगी थी एक बार दुआ हम ने मौत की; शर्मिंदा आज तक हैं मियाँ ज़िंदगी से हम! |
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं; तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं! |
तू अपनी रफ्तार पे इतना ना इतरा,ऐ जिंदगी; अगर मैंने रोक ली साँस तो, तू भी चल नही पायेगी! |
राह-ए-ज़िन्दगी में यह कहानी सभी की है; हमराज़ कोई और है, हमसफ़र कोई और है! |
ज़िंदगी जब्र है और जब्र के आसार नहीं; हाए इस क़ैद को ज़ंजीर भी दरकार नहीं! |
आइने में मेरे अक्सर जो अक्स नज़र आता है, ख़ुद से लड़ता हुआ एक शख़्स नज़र आता है, क्या पता किस बात से ख़ुद से इतना ख़फ़ा है, हर वक़्त बड़ा उदास सा नज़र आता है! |
ना फिसलो इस उम्मीद में कि कोई तुम्हें उठा लेगा, सोच कर मत डूबो दरिया में कि तुम्हें कोई बचा लेगा; ये दुनिया तो एक अड्डा है तमाशबीनों का, अगर देखा तुम्हें मुसीबत में तो हर कोई यहाँ मज़ा लेगा! |