मत पुछो कि मेरा कारोबार क्या है, मुस्कुराहट की छोटीसी दुकान है, नफरत के बाजार मे! |
जिसकी आँखों में कटी थी सदियाँ, उसने सदियों की जुदाई दी है। |
दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ; बाज़ार से ग़ुज़रा हूँ ख़रीदार नहीं हूँ! |
तुझ पे उठ्ठी हैं वो खोई हुयी साहिर आँखें; तुझ को मालूम है क्यों उम्र गवाँ दी हमने! |
जिस दिल को सौंपा था मोड़ भी आया उसे; वो चाहता था छोड़ना मैं छोड़ भी आया उसे; अब के ताल्लुक ना रखेगा वो कोई मुझसे; मैं दोनों हाथों को अब जोड़ भी आया उसे! |
हिज्र के साहिल पे था जो इश्क का आशियाना; ग़म की बरसात में नदीम इक रोज़ ढह गया! |
थक गया मेरा पुर्जा-पुर्जा तकलीफों से निकलने में; हार मानने का दिल नहीं करता और जीत नजर नहीं आती! |
माना की मरने वालों को भुला देतें है सभी; मुझे जिंदा भूलकर तुमने तो कहावत ही बदल दी! |
तेरी बाँहों में हमें उम्र कैद की सज़ा चाहिए; और ये सज़ा हमें बेवजह चाहिए! |
साँसों की माला में पिरो कर रखे हैं तेरी चाहतो के मोती, अब तो तमन्ना यही है कि बिखरूं तो सिर्फ तेरे आगोश में! |