दर्द Hindi Shayari

  • वह अफसाना जिसे अंजाम तक, लाना न हो मुमकिन;<br/>
उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर, छोड़ना अच्छा।Upload to Facebook
    वह अफसाना जिसे अंजाम तक, लाना न हो मुमकिन;
    उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर, छोड़ना अच्छा।
    ~ Sahir Ludhianvi
  • लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में;<br/>
तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में।Upload to Facebook
    लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में;
    तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में।
    ~ Bashir Badr
  • वो बात बात पे देता है परिंदों की मिसाल;<br/>
साफ़ साफ़ नहीं कहता मेरा शहर ही छोड़ दो।Upload to Facebook
    वो बात बात पे देता है परिंदों की मिसाल;
    साफ़ साफ़ नहीं कहता मेरा शहर ही छोड़ दो।
    ~ Ahmad Faraz
  • उन्हें सआदते-मंजिल-रसी नसीब क्या होगी;<br/>
वह पाँव जो राहे-तलब में डगमगा न सके।<br/><br/>
अर्थ:<br/>
1. सआदते - प्रताप, तेज, इकबाल <br/>
2. रसी - मंजिल की प्राप्ति, मंजिल तक पहुंच <br/>
3. राहे-तलब - रास्ते की खोजUpload to Facebook
    उन्हें सआदते-मंजिल-रसी नसीब क्या होगी;
    वह पाँव जो राहे-तलब में डगमगा न सके।

    अर्थ:
    1. सआदते - प्रताप, तेज, इकबाल
    2. रसी - मंजिल की प्राप्ति, मंजिल तक पहुंच
    3. राहे-तलब - रास्ते की खोज
    ~ Jigar Moradabadi
  • उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो;>br/>
न जाने किस गली में जिंदगी की शाम हो जाए। Upload to Facebook
    उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो;>br/> न जाने किस गली में जिंदगी की शाम हो जाए।
    ~ Bashir Badr
  • चलो माना तुम्हारी आदत है तडपाना;<br/>
मगर जरा सोचो अगर कोई मर गया तो!Upload to Facebook
    चलो माना तुम्हारी आदत है तडपाना;
    मगर जरा सोचो अगर कोई मर गया तो!
  • आज कैसी हवा चली ऐ 'फिराक';<br/>
आँख बेइख्तियार भर आई।Upload to Facebook
    आज कैसी हवा चली ऐ 'फिराक';
    आँख बेइख्तियार भर आई।
    ~ Firaq Gorakhpuri
  • मैं एक उलझी सी पहेली हूँ;<br/>
खुद की सुलझी सी सहेली हूँ;<br/>
चाँदनी रात में सपनो को बुनती हूँ;<br/>
दिन के उजाले में उनको ढूंढती हूँ!Upload to Facebook
    मैं एक उलझी सी पहेली हूँ;
    खुद की सुलझी सी सहेली हूँ;
    चाँदनी रात में सपनो को बुनती हूँ;
    दिन के उजाले में उनको ढूंढती हूँ!
  • अपना गम किस तरह से बयान करूँ,<br/>
आग लग जायेगी इस जमाने में। Upload to Facebook
    अपना गम किस तरह से बयान करूँ,
    आग लग जायेगी इस जमाने में।
    ~ Firaq Gorakhpuri
  • किन लफ्ज़ो में बयां करूँ अपने दर्द को;<br/>
सुनने वाले तो बहुत हैं समझने वाला कोई नहीं!Upload to Facebook
    किन लफ्ज़ो में बयां करूँ अपने दर्द को;
    सुनने वाले तो बहुत हैं समझने वाला कोई नहीं!