दुनिया-ए-तसव्वुर हम आबाद नहीं करते; याद आते हो तुम ख़ुद ही हम याद नहीं करते! |
वही फिर मुझे याद आने लगे हैं; जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं! |
मैं कई बरसों से तेरी जुस्तुजू करती रही; इस सफ़र में आरज़ूओं का लहू करती रही! |
फिर ये किस ने मुझे जगाया है; फिर से ख़्वाबों में कौन आया है! |
अभी कुछ दिन मुझे इस शहर में आवारा रहना है; कि अब तक दिल को उस बस्ती की शामें याद आती हैं! |
आज किसी की याद में हम जी भर कर रोए धोया घर; आज हमारा घर लगता है कैसा उजला उजला घर! |
बड़े पक्के हैं तेरे एहसास के धागे; बिना बाँधे भी बंधे रहते हैं! |
बहुत ही याद आता है मेरे दिल को तड़पाता है; वो तेरा पास न होना मुझ को बहुत रुलाता है! |
तेरी यादों का हिसाब हर रोज़ कर लेता हूँ; थोड़ा हँस लेता हूँ थोडा रो लेता हूँ! |
तुम तो अपनों के बीच में हमें भूल ही जाते हो; लेकिन हम तुम्हे भीड़ में भी याद करते हैं! |