धनक धनक मेरी पोरों के ख़्वाब कर देगा; वो लम्स मेरे बदन को गुलाब कर देगा! धनक: इन्द्रधनुष लम्स: स्पर्श |
मोहबबत में नहीं है फ़र्क जी ने और मरने का; उसी को देख कर जीते हैं जिस क़ाफ़िर पे दम निकले! |
अब तो मुझे अपनी आँखों से भी जलन होती है "ऐ ज़ालिम"; खुली हो तो तलाश तेरी और बन्द हो तो ख्वाब तेरे! |
मोहब्बत के लिए कुछ ख़ास दिल मख़्सूस होते हैं; ये वो नग़्मा है जो हर साज़ पर गाया नहीं जाता! |
आखिरी हिचकी तिरे ज़ानू पे आये; मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ! |
इश्क पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब'; जो लगाये न लगे और बुझाये न बने! |
इन होठों को परदे में छुपा लिया कीजिये; हम गुस्ताख़ लोग हैं, आँखों से चूम लिया करते हैं! |
न ग़रज़ किसी से, न वास्ता, मुझे काम अपने ही काम से; तिरे ज़िक्र से, तिरी फ़िक्र से, तिरी याद से तिरे नाम! |
कोई पत्थर की मूरत है, किसी पत्थर में मूरत है, हमने देख ली दुनिया, बहुत ही खूबसूरत है; जमाना अपनी समझे पर मुझे अपनी खबर है ये, तुझे मेरी जरूरत है, मुझे तेरी ज़रूरत है! |
किसी के पास होने का जब हर वक़्त एहसास होता है; यक़ीं मानों कि यहीं मोहब्बत का आगाज होता है! |