इन होठों को परदे में छुपा लिया कीजिये; हम गुस्ताख़ लोग हैं, आँखों से चूम लिया करते हैं! |
न ग़रज़ किसी से, न वास्ता, मुझे काम अपने ही काम से; तिरे ज़िक्र से, तिरी फ़िक्र से, तिरी याद से तिरे नाम! |
कोई पत्थर की मूरत है, किसी पत्थर में मूरत है, हमने देख ली दुनिया, बहुत ही खूबसूरत है; जमाना अपनी समझे पर मुझे अपनी खबर है ये, तुझे मेरी जरूरत है, मुझे तेरी ज़रूरत है! |
किसी के पास होने का जब हर वक़्त एहसास होता है; यक़ीं मानों कि यहीं मोहब्बत का आगाज होता है! |
ग़म-ए-हयात ने आवारा कर दिया वर्ना, थी आरजू तेरे दर पे सुबह-ओ-शाम करें! ग़म-ए-हयात = ज़िन्दगी का ग़म |
हारा हुआ सा वजूद लगता है मेरा; हर किसी ने लूटा है मोहब्बत का वास्ता देकर! |
यह मेरा इश्क़ था या फिर दीवानगी की इंतेहा; कि तेरे ही करीब से गुज़र गए तेरे ही ख्याल से! |
हम ने सीने से लगाया दिल न अपना बन सका; मुस्कुरा कर तुम ने देखा दिल तुम्हारा हो गया! |
जन्नत-ए-इश्क में हर बात अजीब होती है; किसी को आशिकी तो किसी को शायरी नसीब होती है! |
बुत-ख़ाना तोड़ डालिए मस्जिद को ढाइए; दिल को न तोड़िए ये ख़ुदा का मक़ाम है! |