कहीं शेर ओ नग़्मा बन के कहीं आँसुओं में ढल के; वो मुझे मिले तो लेकिन कई सूरतें बदल के। |
चुराकर दिल मेरा वो बेखबर से बैठे हैं; मिलाते नहीं नज़र हमसे अब शर्मा कर बैठे हैं; देख कर हमको छुपा लेते हैं मुँह आँचल में अपना; अब घबरा रहे हैं कि वो क्या कर बैठे हैं। |
कभी मोहब्बत करो तो हमसे करना; दिल की बात जुबाँ पर आये तो हम से कहना; न कह सको कुछ तो आँखें झुका लेना; हम समझ जायेंगे हमें तुम न कुछ कहना। |
ज़माने भर में आशिक कोई हमसा नही होगा; खूबसूरत सनम भी कोई तुमसा नहीं होगा; मर भी जाये उसकी बाहों में तो कोई गम नही यारो; क्योंकी उसके आँचल से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होगा। |
जो एक बार दिल में बस जाये उसे हम निकाल नहीं सकते; जिसे दिल अपना बना ले उसे फिर कभी भुला नहीं सकते; वो जहाँ भी रहे ऐ खुदा हमेशा खुश रहे; उनके लिए कितना प्यार है हमें ये कभी हम जता नहीं सकते। |
दिल वो है कि फ़रियाद से लबरेज़ है हर वक़्त; हम वो हैं कि कुछ मुँह से निकलने नहीं देते। |
बड़ी मुद्दत से चाहा है तुम्हें; बड़ी दुआओं से पाया है तुम्हें; तुम ने भुलाने का सोचा भी कैसे; किस्मत की लकीरों से चुराया है तुम्हें। |
हर घडी एक नाम याद आता है; कभी सुबह, कभी शाम याद आता है; सोचते हैं हम कि कर लें फिर से मोहब्बत; फिर हमें मोहब्बत का अंजाम याद आता है। |
वो कहीं भी गया लौटा तो मेरे पास आया; बस यही बात अच्छी है मेरे हरजाई की। |
इस दिल की हर धड़कन का एहसास हो तुम; तुम क्या जानो हमारे लिए कितने ख़ास हो तुम; जुदा होकर तुमने हमे मौत से भी बदतर सज़ा दी है; फिर भी इस तड़पते हुए दिल ने तुम्हें खुश रहने की दुआ दी है। |