गिला शिकवा Hindi Shayari

  • हमें उनसे कोई शिकायत नहीं;
    शायद हमारी ही किस्मत में चाहत नहीं;
    हमारी तक़दीर को लिख कर तो ऊपर वाला भी मुकर गया;
    पूछा जो हमने तो बोला यह मेरी लिखावट नहीं।
  • कभी तो सोच तेरे सामने नहीं गुज़रे;
    वो सब समय जो तेरे ध्यान से नहीं गुज़रे;
    ये और बात है कि उनके दरमियाँ मैं भी;
    ये वाकिये किसी तकरीब से नहीं गुज़रे।
    ~ Majeed Amjad
  • रीत है जाने यह किस ज़माने की;<br/>
जो सज़ा मिलती हैं यहाँ किसी से दिल लगाने की;<br/>
ना बसाना किसी को दिल में इतना कि;<br/>
फिर दुआ माँगनी पड़े रब से उसे भुलाने की।Upload to Facebook
    रीत है जाने यह किस ज़माने की;
    जो सज़ा मिलती हैं यहाँ किसी से दिल लगाने की;
    ना बसाना किसी को दिल में इतना कि;
    फिर दुआ माँगनी पड़े रब से उसे भुलाने की।
  • हमने भी कभी चाहा था एक ऐसे शख्स को;<br/>
जो आइने से भी नाज़ुक था मगर था पत्थर का।Upload to Facebook
    हमने भी कभी चाहा था एक ऐसे शख्स को;
    जो आइने से भी नाज़ुक था मगर था पत्थर का।
  • उसको क्या सज़ा दूँ जिसने मोहब्बत में हमारा दिल तोड़ दिया;<br/>
गुनाह तो हमने किया जो उसकी बातों को मोहब्बत का रंग दे दिया।Upload to Facebook
    उसको क्या सज़ा दूँ जिसने मोहब्बत में हमारा दिल तोड़ दिया;
    गुनाह तो हमने किया जो उसकी बातों को मोहब्बत का रंग दे दिया।
  • दिलों में खोट जुबां से प्यार करते हैं;<br/>
बहुत से लोग दुनिया में बस यही प्यार करते हैं।Upload to Facebook
    दिलों में खोट जुबां से प्यार करते हैं;
    बहुत से लोग दुनिया में बस यही प्यार करते हैं।
  • रहते थे कभी जिनके दिल में हम अज़ीज़ों की तरह;<br/>
बैठे हैं हम आज उनके दर पे फकीरों की तरह।Upload to Facebook
    रहते थे कभी जिनके दिल में हम अज़ीज़ों की तरह;
    बैठे हैं हम आज उनके दर पे फकीरों की तरह।
  • कहने देती नहीं कुछ मुँह से मोहब्बत मेरी;
    लब पे रह जाती है आ आ के शिकायत मेरी।
    ~ Daagh Dehlvi
  • वो भूल गए कि उन्हें हसाया किसने था;
    जब वो रूठे थे तो मनाया किसने था;
    वो कहते हैं वो बहुत अच्छे है शायद;
    वो भूल गए कि उन्हें यह बताया किसने था।
  • कहाँ से लाऊँ हुनर उसे मनाने का;<br/>
कोई जवाब नहीं था उसके रूठ जाने का;<br/>
मोहब्बत में सजा मुझे ही मिलनी थी;<br/>
क्योंकि जुर्म मेरा था उनसे दिल लगाने का।Upload to Facebook
    कहाँ से लाऊँ हुनर उसे मनाने का;
    कोई जवाब नहीं था उसके रूठ जाने का;
    मोहब्बत में सजा मुझे ही मिलनी थी;
    क्योंकि जुर्म मेरा था उनसे दिल लगाने का।