अन्य Hindi Shayari

  • संघर्ष में आदमी अकेला होता है,<br/>
सफलता में दुनिया उसके साथ होती है,<br/>
जब-जब जग किसी पर हँसा है,<br/>
तब-तब उसी ने इतिहास रचा है!Upload to Facebook
    संघर्ष में आदमी अकेला होता है,
    सफलता में दुनिया उसके साथ होती है,
    जब-जब जग किसी पर हँसा है,
    तब-तब उसी ने इतिहास रचा है!
  • हुकूमत बाजुओं के ज़ोर पर तो कोई भी कर ले;<br/>
जो सबके दिल पे छा जाए उसे इंसान कहते हैं!Upload to Facebook
    हुकूमत बाजुओं के ज़ोर पर तो कोई भी कर ले;
    जो सबके दिल पे छा जाए उसे इंसान कहते हैं!
  • फिकर मत कर बन्दे कलम कुदरत के हाथ है,<br/>
लिखने वाले ने लिख दिया तकदीर तेरे साथ है,<br/>
फिकर करता है क्यूँ फिकर से होता है क्या,<br/>
रख खुदा पे भरोसा देख फिर होता है क्या!Upload to Facebook
    फिकर मत कर बन्दे कलम कुदरत के हाथ है,
    लिखने वाले ने लिख दिया तकदीर तेरे साथ है,
    फिकर करता है क्यूँ फिकर से होता है क्या,
    रख खुदा पे भरोसा देख फिर होता है क्या!
  • दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत;<br/>
यह एक चिराग कई आँधियों पे भारी है!Upload to Facebook
    दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत;
    यह एक चिराग कई आँधियों पे भारी है!
  • चलो चाँद का किरदार अपना लें हम दोस्तों;<br/>
दाग अपने पास रखें और रोशनी बाँट दे!Upload to Facebook
    चलो चाँद का किरदार अपना लें हम दोस्तों;
    दाग अपने पास रखें और रोशनी बाँट दे!
  • आये हो निभाने को जब, किरदार ज़मीं पर;<br/>
कुछ ऐसा कर चलो कि ज़माना मिसाल दे!Upload to Facebook
    आये हो निभाने को जब, किरदार ज़मीं पर;
    कुछ ऐसा कर चलो कि ज़माना मिसाल दे!
  • क्या मस्लहत-शनास था वो आदमी 'क़तील'; <br/>
मजबूरियों का जिस ने वफ़ा नाम रख दिया!Upload to Facebook
    क्या मस्लहत-शनास था वो आदमी 'क़तील';
    मजबूरियों का जिस ने वफ़ा नाम रख दिया!
    ~ Qateel Shifai
  • बारिश शराब-ए-अर्श है ये सोच कर 'अदम'; <br/>
बारिश के सब हुरूफ़ को उल्टा के पी गया!Upload to Facebook
    बारिश शराब-ए-अर्श है ये सोच कर 'अदम';
    बारिश के सब हुरूफ़ को उल्टा के पी गया!
    ~ Abdul Hameed Adam
  • एक बोतल शराब के लिए, कतार में ज़िन्दगी लेकर खड़ा हो गया!<br/>
मौत का डर तो वहम था, आज नशा ज़िन्दगी से बड़ा हो गया!Upload to Facebook
    एक बोतल शराब के लिए, कतार में ज़िन्दगी लेकर खड़ा हो गया!
    मौत का डर तो वहम था, आज नशा ज़िन्दगी से बड़ा हो गया!
  • इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं;<br/>
दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद!Upload to Facebook
    इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं;
    दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद!
    ~ Kaifi Azmi