मुझे क़ुबूल ही नहीं दूसरा इश्क़ हरगिज़;
मेरे सीने में इश्क़-ए-मोहम्मद हने दो! |
आँख से आँख जब नहीं मिलती; दिल से दिल हम-कलाम होता है! |
आसाँ नहीं दरिया-ए-मोहब्बत से गुज़रना; याँ नूह की कश्ती को भी तूफ़ान का डर है! |
खुदा से मिलती है सूरत मेरे महबूब की; अपनी तो मोहब्बत भी हो जाती है और इबादत भी! |
तुम चाहो तो ले लो मेरी रूह की तलाशी; यकीन मानो, कुछ भी नहीं बचा मुझमे तुम्हारी मोहब्बत के सिवा! |
फिरते है मीर अब कहाँ, कोई पूछता नहीं; इस आशिक़ी में इज़्ज़त सादात भी गयी! |
जख्म ऐ दिल पर हाथ रखकर मुस्कुराना भी इश्क है; याद रखना "याद" करना और "याद" आना भी इश्क है! |
तेरे साथ का मतलब जो भी हो; तेरे बाद का मतलब कुछ भी नहीं! |
यह मेरा इश्क़ था या फिर दीवानगी की इन्तहा, कि तेरे ही करीब से गुज़र गए तेरे ही ख्याल में! |
शायरी उसी के लबों पर सजती है साहिब; जिसकी आँखों में इश्क रोता हो! |