तेरा अंदाज़-ए-सँवरना भी क्या कमाल है; तुझे देखूं तो दिल धड़के, ना देखूं तो बेचैन रहूँ। |
क्या मज़ा देती है बिजली की चमक मुझ को रियाज़; मुझ से लिपटे हैं मिरे नाम से डरने वाले। |
वो खुद पर गरूर करते है, तो इसमें हैरत की कोई बात नहीं; जिन्हें हम चाहते है, वो आम हो ही नहीं सकते। |
अपनी ज़िन्दगी में मुझ को करीब समझना; कोई ग़म आये तो उस ग़म में भी शरीक समझना; दे देंगे मुस्कुराहट आँसुओं के बदले; मगर हज़ारों में मुझे थोड़ा अज़ीज़ समझना। |
वो कभी मिल जाएं तो क्या कीजिये; रात दिन सूरत को देखा कीजिये; चाँदनी रातों में एक एक फूल को; बेखुदी कहती है सज़दा कीजिये। |
कुछ मतलब के लिए ढूँढते हैं मुझको; बिन मतलब जो आए तो क्या बात है; कत्ल कर के तो सब ले जाएँगे दिल मेरा; कोई बातों से ले जाए तो क्या बात है। |
अपनी ज़िन्दगी का अलग उसूल है; प्यार की खातिर तो काँटे भी कबूल हैं; हँस के चल दूँ काँच के टुकड़ों पर; अगर तू कह दे ये मेरे बिछाये हुए फूल हैं। |
ज़रा साहिल पे आकर वो थोड़ा मुस्कुरा देती; भंवर घबरा के खुद मुझ को किनारे पर लगा देता; वो ना आती मगर इतना तो कह देती मैं आँऊगी; सितारे, चाँद सारा आसमान राह में बिछा देता। |
जब कोई ख्याल दिल से टकराता है; दिल ना चाह कर भी खामोश रह जाता है; कोई सब कुछ कह कर प्यार जताता है; तो कोई कुछ ना कह कर प्यार निभाता है। |
वो चांदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है; बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है; उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से; तुम्हें ख़ुदा ने हमारे लिये बनाया है। |