किया है प्यार जिसे हमने ज़िन्दगी की तरह; वो आशना भी मिला हमसे अजनबी की तरह; किसे ख़बर थी बढ़ेगी कुछ और तारीकी; छुपेगा वो किसी बदली में चाँदनी की तरह। |
गर्मिये हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं; हम चिरागों की तरह शाम से जल जाते हैं; शमा जलती है जिस आग में नुमाइश के लिए; हम उसी आग में गुमनाम से जल जाते हैं; जब भी आता है तेरा नाम मेरे नाम के साथ; जाने क्यों लोग मेरे नाम से जल जाते हैं। |
वादा करके निभाना भूल जाते हैं; लगा कर आग फिर वो बुझाना भूल जाते हैं; ऐसी आदत हो गयी है अब तो सनम की; रुलाते तो हैं मगर मनाना भूल जाते हैं। |
सुनो एक बार और मोहब्बत करनी है तुमसे; लेकिन इस बार बेवफाई हम करेंगे। |
ये मंजिले मुझे रास आती नहीं, ऐ रास्तो मुझे अपना हमसफ़र बना लो। |
मुझ को शिकस्त-ए-दिल का मज़ा याद आ गया; तुम क्यों उदास हो गए क्या याद आ गया; कहने को ज़िन्दगी थी बहुत मुख्तसर मगर; कुछ यूँ बसर हुई कि खुदा याद आ गया। |
तेरे पास आने को जी चाहता है; फिर से दर्द सहने को जी चाहता है; आज़मा चुके हैं अब ज़माने को हम; बस तुझे आज़माने को जी चाहता है। |
हम भी बिकने गए थे बाज़ार-ऐ-इश्क में; क्या पता था वफ़ा करने वालों को लोग ख़रीदा नहीं करते। |
जिस से चाहा था, बिखरने से बचा ले मुझको; कर गया तुन्द हवाओं के हवाले मुझ को; मैं वो बुत हूँ कि तेरी याद मुझे पूजती है; फिर भी डर है ये कहीं तोड़ न डाले मुझको। |
कोई चला गया दूर तो क्या करें; कोई मिटा गया सब निशान तो क्या करें; याद आती है अब भी उनकी हमें हद से ज्यादा; मगर वो याद ना करें तो क्या करें। |