सुकून मिल गया मुझको बदनाम होकर; आपके हर एक इल्ज़ाम पे यूँ बेजुबान होकर; लोग पढ़ ही लेंगें आपकी आँखों में मेरी मोहब्बत; चाहे कर दो इनकार यूँ ही अनजान होकर। |
आईने के सामने खड़े होकर खुद से माफ़ी माँग ली मैंने; सबसे ज्यादा खुद का दिल दुखाया है औरों को खुश करने में। |
जहाँ दरिया कहीं अपने किनारे छोड़ देता है; कोई उठता है और तूफाँ का रुख मोड़ देता है; मुझे बे-दस्त-ओ-पा कर के भी खौफ उसका नहीं जाता; कहीं भी हादसा गुज़रे वो मुझसे जोड़ देता है। शब्दार्थ: बे-दस्त-ओ-पा = असहाय |
कभी उसने भी हमें चाहत का पैगाम लिखा था; सब कुछ उसने अपना हमारे नाम लिखा था; सुना है आज उनको हमारे जिक्र से भी नफ़रत है; जिसने कभी अपने दिल पर हमारा नाम लिखा था। |
वक़्त बदलता है ज़िन्दगी के साथ; ज़िन्दगी बदलती है वक़्त के साथ; वक़्त नहीं बदलता अपनों के साथ; बस अपने बदल जाते हैं वक़्त के साथ। |
मेरा इल्ज़ाम है तुझ पर कि तू बेवफा था; दोष तो तेरा था मगर तू हमेशा ही खफा था; ज़िन्दगी की इस किताब में बयान है तेरी मेरी कहानी; यादों से सराबोर उसका एक एक सफा था। |
मुझ से बहुत क़रीब है तू फिर भी ऐ 'मुनीर'; पर्दा सा कोई मेरे तिरे दरमियाँ तो है। |
कदम कदम पे बहारों ने साथ छोड़ दिया; पड़ा जब वक़्त तब अपनों ने साथ छोड़ दिया; खायी थी कसम इन सितारों ने साथ देने की; सुबह होते देखा तो इन सितारों ने साथ छोड़ दिया। |
काम अब कोई न आएगा बस इक दिल के सिवा; रास्ते बंद हैं सब कूचा-ए-क़ातिल के सिवा। |
मानते हैं सारा जहाँ तेरे साथ होगा; खुशी का हर लम्हा तेरे पास होगा; जिस दिन टूट जाएँगी साँसे हमारी; उस दिन तुझे हमारी कमी का एहसास होगा। |