मेरी शायरी की तो जान है तू; दिल में खुदा की पहचान है तू; बिन देखे सूरत तेरी, रहूँ मैं उदास; मेरे होंठों की सनम मुस्कान है तू। |
दिल ही दिल में हम तुमसे प्यार करते हैं; हम ऐसे हैं जो मोहब्बत में जाँ निसार करते हैं; निगाहें मिलाते हैं अक्सर लोगों से छुपाकर; जैसे किसी गुनाह को यारो गुनाहगार करते हैं। |
ना वो कुछ कहते हैं, ना कुछ हम कहते हैं; मगर निगाहें बहुत कुछ, होंठ कुछ कम कहते हैं; हम चाहते हैं कुछ वो कहें कुछ हम कहें; बात यही हम बार-बार तुझसे सनम कहते है। |
मत सोचना मेरी जान से जुदा है तू; हकीकत में मेरे दिल का खुदा है तू। |
मैं खुद पहल करूँ या उधर से हो इब्तिदा; बरसों गुज़र गए हैं यही सोचते हुए। |
न जाने क्यों उससे प्यार करता हूँ मैं; न जाने क्यों उसपे जान निस्सार करता हूँ मैं; यह जानता हूँ वह देगा धोखा एक दिन; फिर भी जाने क्यों उसपे ऐतबार करता हूँ मैं। |
जब तु जुदा होता है; तब ज़िंदगी तन्हा होती है; ख़ुशी जो तेरे पास रहकर मिलती है; वो कहाँ लफ़्ज़ों में बयां होती है। |
खुदा से भी पहले तेरा नाम लिया है मैंने; क्या पता तुझे कितना याद किया है मैंने; काश सुन सके तू धड़कन मेरी; हर सांस को तेरे नाम से जिया है मैंने। |
इस दिल को अगर तेरा एहसास नहीं होता; तो दूर भी रह कर के यूँ पास नहीं होता; इस दिल ने तेरी चाहत कुछ ऐसे बसा ली है; एक लम्हा भी तुझ बिन कुछ खास नहीं होता। |
लोग पूछते हैं हमसे कि तुम अपने प्यार का इज़हार क्यों नहीं करते; तो हमने कहा जो लफ़्ज़ों में बयां हो जाए हम उनसे प्यार उतना नहीं करते। |