गिला शिकवा Hindi Shayari

  • सख्तियां करता हूं दिल पर गैर से गाफिल हूं मैं;<br/>
हाय क्या अच्छी कही जालिम हूं, जाहिल हूं मैं।<br/><br/>
Meaning:<br/>
गाफिल - अनजानUpload to Facebook
    सख्तियां करता हूं दिल पर गैर से गाफिल हूं मैं;
    हाय क्या अच्छी कही जालिम हूं, जाहिल हूं मैं।

    Meaning:
    गाफिल - अनजान
    ~ Allama Iqbal
  • कोई हाथ भी न मिलाएगा, जो गले मिलोगे तपाक से,<br/>
ये नए मिजाज का शहर है, जरा फ़ासले से मिला करो।Upload to Facebook
    कोई हाथ भी न मिलाएगा, जो गले मिलोगे तपाक से,
    ये नए मिजाज का शहर है, जरा फ़ासले से मिला करो।
    ~ Bashir Badr
  • उम्मीदों का फटा पैरहन;<br/>
रोज़-रोज़ सिलना पड़ता है;<br/>
तुम से मिलने की कोशिश में;<br/>
किस-किस से मिलना पड़ता है!Upload to Facebook
    उम्मीदों का फटा पैरहन;
    रोज़-रोज़ सिलना पड़ता है;
    तुम से मिलने की कोशिश में;
    किस-किस से मिलना पड़ता है!
    ~ Dr. Kumar Vishwas
  • आज जिस्म में जान है तो देखते नही हैं लोग;<br/>
जब रूह निकल जाएगी तो कफन हटा हटा कर देखेंगे लोग!Upload to Facebook
    आज जिस्म में जान है तो देखते नही हैं लोग;
    जब रूह निकल जाएगी तो कफन हटा हटा कर देखेंगे लोग!
  • हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम;<br/>
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता।Upload to Facebook
    हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम;
    वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता।
    ~ Akbar Allahabadi
  • मिटा दे अपनी हस्ती को गर कुछ मर्तबा* चाहिए;<br/>
कि दाना खाक में मिलकर, गुले-गुलजार होता है|<br/><br/>
Meaning:<br/>
मर्तबा - इज्जत, पदUpload to Facebook
    मिटा दे अपनी हस्ती को गर कुछ मर्तबा* चाहिए;
    कि दाना खाक में मिलकर, गुले-गुलजार होता है|

    Meaning:
    मर्तबा - इज्जत, पद
    ~ Allama Iqbal
  • लेके तन के नाप को, घूमे बस्ती गाँव;<br/>
हर चादर के घेर से, बाहर निकले पाँव।Upload to Facebook
    लेके तन के नाप को, घूमे बस्ती गाँव;
    हर चादर के घेर से, बाहर निकले पाँव।
    ~ Nida Fazli
  • अपनी तबाहियों का मुझे कोई गम नहीं;<br/>
तुमने किसी के साथ मोहब्बत निभा तो दी।Upload to Facebook
    अपनी तबाहियों का मुझे कोई गम नहीं;
    तुमने किसी के साथ मोहब्बत निभा तो दी।
    ~ Sahir Ludhianvi
  • दिल की बस्ती अजीब बस्ती है;<br/>
लूटने वाले को तरसती है।Upload to Facebook
    दिल की बस्ती अजीब बस्ती है;
    लूटने वाले को तरसती है।
    ~ Allama Iqbal
  • मैं अकेला ही चला था जानिबे-मंजिल मगर;<br/>
लोग आते गए और कारवां बनता गया।Upload to Facebook
    मैं अकेला ही चला था जानिबे-मंजिल मगर;
    लोग आते गए और कारवां बनता गया।
    ~ Majrooh Sultanpuri