मोहब्बत मुझे तुम से नहीं तेरे किरदार से है, वरना हसीन लोग तो बाजार में आम मिला करते हैं। |
एक तेरी बे-रुख़ी से ज़माना ख़फ़ा हुआ; ऐ संग-दिल तुझे भी ख़बर है कि क्या हुआ। |
चले जायेंगे तुझे तेरे हाल पर छोड़कर, कदर क्या होती है ये तुझे वक़्त सिखाएगा। |
मैं फ़ना हो गया अफ़सोस वो बदला भी नहीं, मेरी चाहतों से भी सच्ची रही नफरत उसकी। |
कभी भूल कर भी मत जाना मोहब्बत के जंगल में, यहाँ साँप नहीं हमसफ़र डसा करते हैं। |
मर्ज़ी से जीने की बस ख्वाहिश की थी मैंने, और वो कहते हैं कि खुदगर्ज़ बन गए हो तुम। |
ढाया खुदा ने ज़ुल्म हम दोनों पर, तुम्हें हुस्न देकर और मुझे इश्क़ देकर। |
छोड़ दो किस्मत की लकीरों पे यकीन करना; जब लोग बदल सकते हैं तो किस्मत क्या चीज़ है। |
ख़ामोशियों के सिलसिले बढ़ते गए; कारवाँ चलता रहा हम भी चलते गए; ना उनको ख़बर, ना हमें उनकी फिकर; ज़िंदगी जिस राह ले चली हम भी चलते गए। |
कुछ और भी हैं काम हमें ऐ ग़म-ए-जानाँ; कब तक कोई उलझी हुई ज़ुल्फ़ों को सँवारे। |