गिला शिकवा Hindi Shayari

  • किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल;
    कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा।
    ~ Ahmad Faraz
  • वो जो बन के दुश्मन मुझे जीतने को निकले थे,<br />
कर लेते अगर मोहब्बत मैं खुद ही हार जाता।Upload to Facebook
    वो जो बन के दुश्मन मुझे जीतने को निकले थे,
    कर लेते अगर मोहब्बत मैं खुद ही हार जाता।
  • तू भी औरों की तरह मुझ से किनारा कर ले;<br />
सारी दुनिया से बुरा हूँ तेरे किस काम का हूँ।Upload to Facebook
    तू भी औरों की तरह मुझ से किनारा कर ले;
    सारी दुनिया से बुरा हूँ तेरे किस काम का हूँ।
  • हमें नींद की इज़ाज़त भी उनकी यादों से लेनी पड़ती है;
    जो खुद आराम से सोये हैं हमें करवटों में छोड़ कर।
  • चल रहे हैं इस ‪‎दौर में ‪रिश्वतों‬ के ‪सिलसिले‬;<br />
‪तुम‬ भी कुछ ‪‎ले देके‬ ‪मेरे‬ क्यों नही हो जाते?Upload to Facebook
    चल रहे हैं इस ‪‎दौर में ‪रिश्वतों‬ के ‪सिलसिले‬;
    ‪तुम‬ भी कुछ ‪‎ले देके‬ ‪मेरे‬ क्यों नही हो जाते?
  • दोस्तों को भी मिले दर्द की दौलत या रब;
    मेरा अपना ही भला हो मुझे मंज़ूर नहीं।
    ~ Hafeez Jalandhari
  • जो बात मुनासिब है वो हासिल नहीं करते;<br />
जो अपनी गिरह में हैं वो खो भी रहे हैं;<br />
बे-इल्म भी हम लोग हैं ग़फ़लत भी है तेरी;<br />
अफ़सोस के अंधे भी हैं और सो भी रहे हैं।Upload to Facebook
    जो बात मुनासिब है वो हासिल नहीं करते;
    जो अपनी गिरह में हैं वो खो भी रहे हैं;
    बे-इल्म भी हम लोग हैं ग़फ़लत भी है तेरी;
    अफ़सोस के अंधे भी हैं और सो भी रहे हैं।
  • एक मुद्दत से मेरे हाल से बेगाना है;<br />
जाने ज़ालिम ने किस बात का बुरा माना है;<br />
मैं जो ज़िद्दी हूँ तो वो भी है अना का कैदी;<br />
मेरे कहने पे कहाँ उसने चले आना है।Upload to Facebook
    एक मुद्दत से मेरे हाल से बेगाना है;
    जाने ज़ालिम ने किस बात का बुरा माना है;
    मैं जो ज़िद्दी हूँ तो वो भी है अना का कैदी;
    मेरे कहने पे कहाँ उसने चले आना है।
  • हो मुखातिब तो कहूँ, क्या मर्ज़ है मेरा;
    अब तुम ख़त में पूछोगे, तो खैरियत ही कहेंगे।
  • मेरी ख़बर तो किसी को नहीं मगर 'अख़्तर';
    ज़माना अपने लिए होशियार कैसा है।
    ~ Akhtar Ansari