गिला शिकवा Hindi Shayari

  • इसीलिए तो यहाँ अब भी अजनबी हूँ मैं;</br>
तमाम लोग फ़रिश्ते हैं आदमी हूँ मैं!Upload to Facebook
    इसीलिए तो यहाँ अब भी अजनबी हूँ मैं;
    तमाम लोग फ़रिश्ते हैं आदमी हूँ मैं!
    ~ Bashir Badr
  • ख़ुश-गुमाँ हर आसरा बे-आसरा साबित हुआ;</br>
ज़िंदगी तुझ से तालुक्क खोखला साबित हुआ!Upload to Facebook
    ख़ुश-गुमाँ हर आसरा बे-आसरा साबित हुआ;
    ज़िंदगी तुझ से तालुक्क खोखला साबित हुआ!
    ~ Zafar Moradabadi
  • दफ़्न कर सकता हूँ सीने में तुम्हारे राज़ को;</br>
और तुम चाहो तो अफ़्साना बना सकता हूँ मैं!Upload to Facebook
    दफ़्न कर सकता हूँ सीने में तुम्हारे राज़ को;
    और तुम चाहो तो अफ़्साना बना सकता हूँ मैं!
    ~ Asrarul Haq Majaz
  • हमारे इश्क़ में रुस्वा हुए तुम;</br>
मगर हम तो तमाशा हो गए हैं!Upload to Facebook
    हमारे इश्क़ में रुस्वा हुए तुम;
    मगर हम तो तमाशा हो गए हैं!
    ~ Athar Nafees
  • मेरी तरफ़ से तो टूटा नहीं कोई रिश्ता;</br>
किसी ने तोड़ दिया ऐतबार टूट गया!Upload to Facebook
    मेरी तरफ़ से तो टूटा नहीं कोई रिश्ता;
    किसी ने तोड़ दिया ऐतबार टूट गया!
    ~ Akhtar Nazmi
  • यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता;</br>
मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो चलो!Upload to Facebook
    यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता;
    मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो चलो!
    ~ Nida Fazli
  • मोहब्बत ही में मिलते हैं शिकायत के मज़े पैहम;</br>
मोहब्बत जितनी बढ़ती है शिकायत होती जाती है!</br></br>
*पैहम: लगातारUpload to Facebook
    मोहब्बत ही में मिलते हैं शिकायत के मज़े पैहम;
    मोहब्बत जितनी बढ़ती है शिकायत होती जाती है!

    *पैहम: लगातार
    ~ Shakeel Badayuni
  • एक मंज़िल है मगर राह कई हैं 'अज़हर';</br>
सोचना ये है कि जाओगे किधर से पहले!Upload to Facebook
    एक मंज़िल है मगर राह कई हैं 'अज़हर';
    सोचना ये है कि जाओगे किधर से पहले!
    ~ Azhar Lakhnawi
  • ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया;</br>
झूठी क़सम से आप का ईमान तो गया!Upload to Facebook
    ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया;
    झूठी क़सम से आप का ईमान तो गया!
    ~ Daagh Dehlvi
  • मैं अब किसी की भी उम्मीद तोड़ सकता हूँ;</br>
मुझे किसी पे भी अब कोई ऐतबार नहीं!Upload to Facebook
    मैं अब किसी की भी उम्मीद तोड़ सकता हूँ;
    मुझे किसी पे भी अब कोई ऐतबार नहीं!
    ~ Jawad Sheikh