दर्द Hindi Shayari

  • दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता;<br/>
तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता!Upload to Facebook
    दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता;
    तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता!
    ~ Wasim Barelvi
  • वो नहीं मेरा मगर उस से मोहब्बत है तो है;<br/>
ये अगर रस्मों रिवाजों से बग़ावत है तो है!Upload to Facebook
    वो नहीं मेरा मगर उस से मोहब्बत है तो है;
    ये अगर रस्मों रिवाजों से बग़ावत है तो है!
    ~ Deepti Mishra
  • सिले हों लब ज़बानें बंद तो बातें नहीं होतीं;<br/>
मुख़ालिफ़ रास्ते हों तो मुलाक़ातें नहीं होतीं!Upload to Facebook
    सिले हों लब ज़बानें बंद तो बातें नहीं होतीं;
    मुख़ालिफ़ रास्ते हों तो मुलाक़ातें नहीं होतीं!
    ~ Nafeer Sarmadi
  • पाँव का ध्यान तो है राह का डर कोई नहीं;<br/>
मुझ को लगता है मेरा ज़ाद-ए-सफ़र कोई नहीं!Upload to Facebook
    पाँव का ध्यान तो है राह का डर कोई नहीं;
    मुझ को लगता है मेरा ज़ाद-ए-सफ़र कोई नहीं!
    ~ Osama Khalid
  • अब ज़िंदगी का कोई सहारा नहीं रहा;<br/>
सब ग़ैर हैं कोई भी हमारा नहीं रहा!Upload to Facebook
    अब ज़िंदगी का कोई सहारा नहीं रहा;
    सब ग़ैर हैं कोई भी हमारा नहीं रहा!
    ~ Ghazal Ansari
  • मजबूरियों के नाम पे सब छोड़ना पड़ा;<br/>
दिल तोड़ना कठिन था मगर तोड़ना पड़ा!Upload to Facebook
    मजबूरियों के नाम पे सब छोड़ना पड़ा;
    दिल तोड़ना कठिन था मगर तोड़ना पड़ा!
    ~ Anjum Rahbar
  • तुम्हीं बताओ कि अब और तुम से क्या माँगूँ;<br/>
ये दर्द-ए-दिल जो दिया है मुझे वो क्या कम है!Upload to Facebook
    तुम्हीं बताओ कि अब और तुम से क्या माँगूँ;
    ये दर्द-ए-दिल जो दिया है मुझे वो क्या कम है!
    ~ Jageshwar Dayal Nashtar Kanpuri
  • ना मेरी ज़ख़्म पर रखो मरहम;<br/>
मेरे क़ातिल की ये निशानी है!Upload to Facebook
    ना मेरी ज़ख़्म पर रखो मरहम;
    मेरे क़ातिल की ये निशानी है!
    ~ Goya Faqir Mohammad
  • कभी दुआ तो कभी बद-दुआ से लड़ते हुए;<br/>
तमाम उम्र गुज़ारी हवा से लड़ते हुए!Upload to Facebook
    कभी दुआ तो कभी बद-दुआ से लड़ते हुए;
    तमाम उम्र गुज़ारी हवा से लड़ते हुए!
    ~ Zafar Moradabadi
  • हवा से उजड़ कर बिखर क्यों गए;<br/>
वो पत्ते जो सरसब्ज़ शाख़ों पे थे!<br/>
*सरसब्ज़ - उत्पादकUpload to Facebook
    हवा से उजड़ कर बिखर क्यों गए;
    वो पत्ते जो सरसब्ज़ शाख़ों पे थे!
    *सरसब्ज़ - उत्पादक
    ~ Parkash Fikri