जिसके नसीब मे हों ज़माने भर की ठोकरें, उस बदनसीब से ना सहारों की बात कर। |
तलाश में बीत गयी सारी ज़िंदगानी ए दिल, अब समझा कि खुद से बड़ा कोई हमसफ़र नहीं होता। |
अब जिस तरफ़ से चाहे गुज़र जाए कारवाँ, वीरानियाँ तो सब मेरे दिल में उतर गईं। |
तुझे भूलकर भी ना भूल पायेंगे हम, बस यही एक वादा निभा पायेंगे हम। |
आज तो मिल के भी जैसे न मिले हों तुझ से, चौंक उठते थे कभी तेरी मुलाक़ात से हम। |
अपने क़दमों के निशान मेरे रास्ते से हटा दो, कहीं ये ना हो कि मैं चलते चलते तेरे पास आ जाऊं। |
तेरी बातो मे ज़िक्र मेरा, मेरी बातो मे ज़िक्र तेरा; अजब सा ये इश्क है ना तू मेरा ना मै तेरा। |
कुछ दिन तो अपनी यादें वापस ले ले हरजाई, बड़े दिनों से मैं सोया नही। |
लगा कर आग सीने में चले हो तुम कहाँ, अभी तो राख उड़ने दो तमाशा और भी होगा। |
हम ख़ास तो नहीं मगर बारिश की उन कतरों की तरह अनमोल हैं, जो मिट्टी में समां जायें तो फिर कभी नहीं मिला करते। |