आँसुओं को पलकों पे लाया मत कीजिये; दिल की बातें हर किसी को बताया न कीजिये; लोग मुट्ठी में नमक लिए फिरते हैं; अपना हर ज़ख़्म लोगों को दिखाया न कीजिये। |
उनके ख्यालों ने कभी हमें खोने नहीं दिया; जुदाई के दर्द ने हमें कभी खामोश होने नहीं दिया; आँखे तो आज भी उनके इंतज़ार में रोती हैं; मगर उनकी मुस्कुराहट ने हमें आज भी रोने नहीं दिया। |
आँख की ये एक हसरत थी कि बस पूरी हुई; आँसुओं में भीग जाने की हवस पूरी हुई; आ रही है जिस्म की दीवार गिरने की सदा; एक अजब ख्वाहिश थी जो अब के बरस पूरी हुई। |
मेरी आंखों के आंसू कह रहे हैं मुझसे, अब दर्द इतना है कि सहा नहीं जाता; मत रोक पलको से खुल कर छलकने दे; अब यूं इन आँखों में थम कर रहा नहीं जाता। |
क्या आये तुम जो आये घडी दो घडी के बाद; सीने में होगी सांस अड़ी दो घडी के बाद; क्या रोका अपने गिर्ये को हम ने कि लग गयी; फिर वही आँसुओं की झड़ी दो घडी के बाद। |
क्या देते किसी को मुस्कुराहट, हम अपने अश्कों से ज़ार-ज़ार थे; क्या देते किसी को ज़िंदगी का तोहफा, हम तो अपनी मौत से बेज़ार थे। |
सुकून अपने दिल का मैंने खो दिया; खुद को तन्हाई के समंदर में डुबो दिया; जो था मेरे कभी मुस्कुराने की वजह; आज उसकी कमी ने मेरी पलकों को भिगो दिया। |
दिल की बात लबों पर लाकर अब तक हम दुःख सहते हैं; हम ने सुना था इस बस्ती में दिल वाले भी रहते हैं; बीत गया सावन का महीना मौसम ने नज़रें बदलीं; लेकिन इन प्यासी आँखों से अब तक आँसू बहते हैं। |
मोहब्बत के सपने वो दिखाते बहुत हैं; रातों में वो हम को जगाते बहुत हैं; मैं आँखों में काजल लगाऊं तो कैसे; इन आँखों को वो रुलाते बहुत हैं। |
दिल में हर राज़ दबा कर रखते हैं; होंठों पे मुस्कुराहट सज़ा के रखते हैं; यह दुनिया सिर्फ ख़ुशी में साथ देती है; इसलिए हम अपने आँसुओं को छुपा कर रखते हैं। |