ज़िन्दगी Hindi Shayari

  • जो दिल को है ख़बर कहीं मिलती नहीं ख़बर;</br>
हर सुब्ह एक अज़ाब है अख़बार देखना!Upload to Facebook
    जो दिल को है ख़बर कहीं मिलती नहीं ख़बर;
    हर सुब्ह एक अज़ाब है अख़बार देखना!
    ~ Obaidullah Aleem
  • उम्र जो बे-ख़ुदी में गुज़री है;</br>
बस वही आगही में गुज़री है!</br></br>
*आगही: समझ-बूझUpload to Facebook
    उम्र जो बे-ख़ुदी में गुज़री है;
    बस वही आगही में गुज़री है!

    *आगही: समझ-बूझ
    ~ Gulzar Dehlvi
  • जवाज़ कोई अगर मेरी बंदगी का नहीं;</br>
मैं पूछता हूँ तुझे क्या मिला ख़ुदा हो कर!</br></br>
* जवाज़: जाइज़ होनाUpload to Facebook
    जवाज़ कोई अगर मेरी बंदगी का नहीं;
    मैं पूछता हूँ तुझे क्या मिला ख़ुदा हो कर!

    * जवाज़: जाइज़ होना
    ~ Shehzad Ahmed
  • पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो था;</br>
जिस्म जल जाएँगे जब सर पे न साया होगा!Upload to Facebook
    पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो था;
    जिस्म जल जाएँगे जब सर पे न साया होगा!
    ~ Kaifi Azmi
  • कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहीं;
ज़िंदगी तूने तो धोखे पे दिया है धोखा!Upload to Facebook
    कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहीं; ज़िंदगी तूने तो धोखे पे दिया है धोखा!
    ~ Firaq Gorakhpuri
  • कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है;</br>
ज़िंदगी एक नज़्म लगती है!</br></br>
*नज़्म: कविताUpload to Facebook
    कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है;
    ज़िंदगी एक नज़्म लगती है!

    *नज़्म: कविता
    ~ Gulzar
  • ज़िंदगी एक फ़न है लम्हों को;</br>
अपने अंदाज़ से गँवाने का!</br></br>
*फ़न:  कलाUpload to Facebook
    ज़िंदगी एक फ़न है लम्हों को;
    अपने अंदाज़ से गँवाने का!

    *फ़न: कला
    ~ Jaun Elia
  • दर्द उल्फ़त का न हो तो ज़िंदगी का क्या मज़ा;</br>
आह-ओ-ज़ारी ज़िंदगी है बे-क़रारी ज़िंदगी!</br></br>

*आह-ओ-ज़ारी: विलाप/शोकUpload to Facebook
    दर्द उल्फ़त का न हो तो ज़िंदगी का क्या मज़ा;
    आह-ओ-ज़ारी ज़िंदगी है बे-क़रारी ज़िंदगी!

    *आह-ओ-ज़ारी: विलाप/शोक
    ~ Ghulam Bhik Nairang
  • मुझे ख़बर नहीं ग़म क्या है और ख़ुशी क्या है;</br>
ये ज़िंदगी की है सूरत तो ज़िंदगी क्या है!Upload to Facebook
    मुझे ख़बर नहीं ग़म क्या है और ख़ुशी क्या है;
    ये ज़िंदगी की है सूरत तो ज़िंदगी क्या है!
    ~ Ahsan Marahravi
  • ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा;<br/>
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा!Upload to Facebook
    ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा;
    क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा!
    ~ Gulzar