दर्द Hindi Shayari

  • दर्द अब दिल की दवा हो जैसे;<br/>
ज़िंदगी एक सज़ा हो जैसे!Upload to Facebook
    दर्द अब दिल की दवा हो जैसे;
    ज़िंदगी एक सज़ा हो जैसे!
    ~ Iftikhar Aazmi
  • कितना दुश्वार है जज़्बों की तिजारत करना;<br/>
एक ही शख़्स से दो बार मोहब्बत करना!<br/>
*दुश्वार-कठिनUpload to Facebook
    कितना दुश्वार है जज़्बों की तिजारत करना;
    एक ही शख़्स से दो बार मोहब्बत करना!
    *दुश्वार-कठिन
    ~ Liaqat Jafri
  • मैं बाज़गश्त-ए-दिल हूँ पैहम शिकस्त-ए-दिल हूँ;<br/>
वो आज़मा रहा हूँ जो आज़मा चुका हूँ!Upload to Facebook
    मैं बाज़गश्त-ए-दिल हूँ पैहम शिकस्त-ए-दिल हूँ;
    वो आज़मा रहा हूँ जो आज़मा चुका हूँ!
    ~ Saba Akhtar
  • मेरी दुआओं की सब नग़्मगी तमाम हुई;<br/>
सहर तो हो न सकी और फिर से शाम हुई!<br/><br/>

* नग़्मगी - गीतकारीUpload to Facebook
    मेरी दुआओं की सब नग़्मगी तमाम हुई;
    सहर तो हो न सकी और फिर से शाम हुई!

    * नग़्मगी - गीतकारी
    ~ Yaqoob Yawar
  • खिड़की से महताब न देखो;<br/>
ऐसे भी तुम ख़्वाब न देखो!Upload to Facebook
    खिड़की से महताब न देखो;
    ऐसे भी तुम ख़्वाब न देखो!
    ~ Zafar Kaleem
  • दिल से जब लौ लगी नहीं होती; <br/>
आँख भी शबनमी नहीं होती! Upload to Facebook
    दिल से जब लौ लगी नहीं होती;
    आँख भी शबनमी नहीं होती!
    ~ Ved Rahi
  • चैन पड़ता नहीं है सोने में;<br/>सूइयाँ तो नहीं बिछौने में!Upload to Facebook
    चैन पड़ता नहीं है सोने में;
    सूइयाँ तो नहीं बिछौने में!
    ~ Ehsas Muradabadi
  • इंतिज़ार-ए-दीद में यूँ आँख पथराई कि बस;<br/>मरते मरते वो हुई आलम में रुस्वाई कि बस!Upload to Facebook
    इंतिज़ार-ए-दीद में यूँ आँख पथराई कि बस;
    मरते मरते वो हुई आलम में रुस्वाई कि बस!
    ~ Gawwas Qureshi
  • भूल जाना था तो फिर अपना बनाया क्यूँ था;<br/>
तुम ने उल्फत का यकीं मुझ को दिलाया क्यूँ थाUpload to Facebook
    भूल जाना था तो फिर अपना बनाया क्यूँ था;
    तुम ने उल्फत का यकीं मुझ को दिलाया क्यूँ था
    ~ Saba Afghani
  • बाहर बाहर सन्नाटा है अंदर अंदर शोर बहुत;
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दिल की घनी बस्ती में यारो आन बसे हैं चोर बहुत!Upload to Facebook
    बाहर बाहर सन्नाटा है अंदर अंदर शोर बहुत;
    दिल की घनी बस्ती में यारो आन बसे हैं चोर बहुत!
    ~ Umar Ansari