अन्य Hindi Shayari

  • मैंने माना कि कुछ नहीं 'ग़ालिब';</br>
मुफ़्त हाथ आए तो बुरा क्या है!Upload to Facebook
    मैंने माना कि कुछ नहीं 'ग़ालिब';
    मुफ़्त हाथ आए तो बुरा क्या है!
    ~ Mirza Ghalib
  • रोने वालों से कहो उन का भी रोना रो लें;</br>
जिन को मजबूरी-ए-हालात ने रोने न दिया!Upload to Facebook
    रोने वालों से कहो उन का भी रोना रो लें;
    जिन को मजबूरी-ए-हालात ने रोने न दिया!
    ~ Sudarshan Faakir
  • तुम्हारे ख़त में नया एक सलाम किस का था,</br>
न था रक़ीब तो आख़िर वो नाम किस का था;</br>
वो क़त्ल कर के मुझे हर किसी से पूछते हैं,</br>
ये काम किस ने किया है ये काम किस का था!Upload to Facebook
    तुम्हारे ख़त में नया एक सलाम किस का था,
    न था रक़ीब तो आख़िर वो नाम किस का था;
    वो क़त्ल कर के मुझे हर किसी से पूछते हैं,
    ये काम किस ने किया है ये काम किस का था!
    ~ Dagh Dehlvi
  • चली है मौज में काग़ज़ की कश्ती;</br>
उसे दरिया का अंदाज़ा नहीं है!Upload to Facebook
    चली है मौज में काग़ज़ की कश्ती;
    उसे दरिया का अंदाज़ा नहीं है!
    ~ Saleem Ahmed
  • कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता,</br>
कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता;</br>
तमाम शहर में ऐसा नहीं ख़ुलूस न हो,</br>
जहाँ उमीद हो इस की वहाँ नहीं मिलता!</br></br>
*मुकम्मल: उत्तम, पूर्ण</br>
*ख़ुलूस: निष्कपटता, निश्छलताUpload to Facebook
    कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता,
    कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता;
    तमाम शहर में ऐसा नहीं ख़ुलूस न हो,
    जहाँ उमीद हो इस की वहाँ नहीं मिलता!

    *मुकम्मल: उत्तम, पूर्ण
    *ख़ुलूस: निष्कपटता, निश्छलता
    ~ Nida Fazli
  • गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले,</br>
चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले;</br>
क़फ़स उदास है यारो सबा से कुछ तो कहो,</br>
कहीं तो बहर-ए-ख़ुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले!</br></br>
*बहर-ए-ख़ुदा: ईश्वर के लिए</br>
*क़फ़स: पिंजरा, क़ैदख़ाना</br>
*सबा: हवा, सुबह की हवाUpload to Facebook
    गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले,
    चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले;
    क़फ़स उदास है यारो सबा से कुछ तो कहो,
    कहीं तो बहर-ए-ख़ुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले!

    *बहर-ए-ख़ुदा: ईश्वर के लिए
    *क़फ़स: पिंजरा, क़ैदख़ाना
    *सबा: हवा, सुबह की हवा
    ~ Faiz Ahmad Faiz
  • सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो;</br>
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो!Upload to Facebook
    सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो;
    सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो!
    ~ Nida Fazli
  • आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा,</br>
कश्ती के मुसाफ़िर ने समंदर नहीं देखा;</br>
बे-वक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगे,</br>
एक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा!</br>Upload to Facebook
    आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा,
    कश्ती के मुसाफ़िर ने समंदर नहीं देखा;
    बे-वक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगे,
    एक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा!
    ~ Bashir Badr
  • सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं,</br>
सो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं;</br>
सुना है रब्त है उस को ख़राब-हालों से,</br>
सो अपने आप को बरबाद कर के देखते हैं!</br></br>
*रब्त: लगाव</br>
*ख़राब-हालों: जिनकी हालत खराब हैUpload to Facebook
    सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं,
    सो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं;
    सुना है रब्त है उस को ख़राब-हालों से,
    सो अपने आप को बरबाद कर के देखते हैं!

    *रब्त: लगाव
    *ख़राब-हालों: जिनकी हालत खराब है
    ~ Ahmad Faraz
  • परेशाँ रात सारी है सितारो तुम तो सो जाओ,</br>
सुकूत-ए-मर्ग तारी है सितारो तुम तो सो जाओ;</br>
हँसो और हँसते हँसते डूबते जाओ ख़लाओं में,</br>
हमीं पे रात भारी है सितारो तुम तो सो जाओ!</br></br>
*सुकूत-ए-मर्ग: मौत की चुप्पी</br>
*ख़लाओं: आकाशUpload to Facebook
    परेशाँ रात सारी है सितारो तुम तो सो जाओ,
    सुकूत-ए-मर्ग तारी है सितारो तुम तो सो जाओ;
    हँसो और हँसते हँसते डूबते जाओ ख़लाओं में,
    हमीं पे रात भारी है सितारो तुम तो सो जाओ!

    *सुकूत-ए-मर्ग: मौत की चुप्पी
    *ख़लाओं: आकाश
    ~ Qateel Shifai